जाने रिहाई के बाद कन्हैया की स्पीच की 10 बातें…

 नई दिल्ली। जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार गुरुवार रात जेल से रिहा होकर जेएनयू परिसर में पहुंचे। परिसर में उन्होंने भारी संख्या में मौजूद छात्रों को उसी जगह पर संबोधित, जहां गिरफ्तारी से एक दिन पहले उन्होंने भाषण दिया था। अपने संबोधन में कुमार ने कहा कि हमें भारत से आजादी नहीं, बल्कि भारत में आजादी चाहिए। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी, सरकार, आरएसएस, मानव संसाधन मंत्री और एबीवीपी पर निशाना साधा। गुरुवार रात को दिए गए उनके भाषण के दस अहम बिंदू इस प्रकार हैं… -हम भारत से आजादी नहीं मांग रहे, हम देश के अंदर आजादी मांग रहे हैं। हमने कभी भी भारत से आजादी नहीं मांगी। हम गरीबी, भूखमरी, दमनवाद, जातिवाद और पूंजीवाद से आजादी मांग रहे हैं। यह आजादी हम इसी मुल्क में रहकर मांगेंगे। अत्याचार के खिलाफ जेएनयू ने हमेशा आवाज बुलंद की है और हमेशा करता रहेगा। -जेएनयू के खिलाफ सुनियाजित हमला किया गया। इसको इसलिए निशाना बनाया गया, ताकि यूजीसी आंदोलन को दबाया जा सके और रोहित वेमुला के न्याय के लिए लड़ाई को कमजोर किया जा सके। तुम हमारी लड़ाई को डायलूट नहीं कर सकते हो। देश के संविधान में पूरा भरोसा है और पूरी उम्मीद है कि बदलाव आकर रहेगा। -मैं एक गांव का रहने वाला हूं, जहां पर लोग मैजिक शो दिखाते हैं और लोगों को यह कहकर अंगूठियां बेचते हैं कि आपकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी। हमारे देश में भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो कहते हैं कि काला धन वापस लाएंगे, सबका साथ-सबका विकास। -संघर्ष को तुम जितना दबाओगे, हम उतना मजबूती से खड़े होंगे। बुनियादी सवालों में जनता को भटकाने की कोशिश की गई है। -प्रधानमंत्री ट्विटर पर सत्यमेव जयते कहते हैं। सत्यमेव जयते किसी एक दल का नहीं है। यह देश का है। हम भी सत्यमेव जयते कहते हैं। मोदी जी मन की करते हैं लेकिन सुनते नहीं हैं मन की बात। -भारतीय बहुत आसानी से बातें भूल जाते हैं, लेकिन इस बार का ड्रामा कुछ बड़ा था इसलिए हमें चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए जुमले अभी भी याद हैं। अगर आप सरकार के खिलाफ बोलेंगे तो उनकी साइबर सेल आपकी फर्जी वीडियो भेज देगी। वे आकर आपके हॉस्टल और डस्टबिन में कंडोम गिनने लगेंगे। देश के 69 फीसदी लोगों ने उनकी विचारधारा के खिलाफ मतदान किया था, केवल 31 फीसदी लोग हैं, जो इनकी जुमलेबाजी में फंस गए थे। -जब मैं जेल में था, तो मैंने महसूस किया कि जो पुलिसकर्मी मुझे मेडिकल टेस्ट और खाने के लिए ले जाते थे वे भी मेरे जैसे ही लोग हैं। वे भी भ्रष्ट सिस्टम का हिस्सा हैं। जब मैंने उन्हें अपने विचारों से रूबरू कराया तो उन्हें समझ में आया कि हम किस तरह की आजादी की मांग कर रहे थे। -मैडम, स्मृति इरानी, आप हमें नहीं पढ़ाएंगी कि देशभक्ति और देशद्रोह क्या है। कोर्ट को इसका फैसला करने दीजिए। और हां, हम आपके बच्चे नहीं है। हम लोग आपके राजनीतिक विरोधी हैं। -जेल में मैंने यह भी अनुभव किया कि हम जेएनयू के लोग सभ्य तरीके से बात तो करते हैं, लेकिन बहुत ही भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। यह भाषा देश के लोगों को समझ में नहीं आती। उनका दोष नहीं है। वे ईमानदार और समझदार लोग हैं। आप ही को उनके स्तर पर जाकर अपनी बात रखनी होगी। -एक भाजपा सांसद ने संसद में कहा कि जवान सीमा पर मर रहे हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जो जवान सीमा पर मर रहे हैं क्या उनमें से कोई उनका भाई या बेटा है ? वह उस किसान का बेटा है जो सूखे की वजह से मर रहा है। उनकी मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? देश में झूठी बहस मत छेड़िए। मेरे जैसे गरीब, सिपाहियों, किसानों और सैनिकों को बांटने की कोशिश मत कीजिए। क्या आपने उनके परिवार और सूखे से आत्महत्या कर रहे लोगों के परिवार के बारे में सोचा है?

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