Thursday, October 31, 2024
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सफरनामा में पिरोये गए हैं ज्ञान की अंतरकथा के सूत्र

पत्रिका संवाददाता

नई दिल्ली । केंद्रीय हिंदी संस्थान और वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा संस्थान के सभागार में प्रसिद्ध लेखिका और केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक डॉ. बीना शर्मा की पुस्तक ‘सफरनामा – 4’ का लोकार्पण और परिचर्चा का आयोजन किया गया। संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी के सानिध्य में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. कमल किशोर गोयनका ने की। मुख्य अतिथि डॉ. सच्चिदानंद जोशी और मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. विमलेश कांति वर्मा तथा अलका सिन्हा थे। कार्यक्रम का संयोजन संस्थान के दिल्ली केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा ने और संचालन प्रसिद्ध लेखिका डॉ. अपर्णा सारस्वत ने किया।

पुस्तक का लोकार्पण करते हुए प्रसिद्ध लेखक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि इस पुस्तक के सभी निबंध निश्छल, निर्मल और निष्कपट मन से निकले हुए हैं। इन्हें पढ़ते हुए राजेंद्र अवस्थी के ‘काल चिंतन’ की याद आती है।

प्रसिद्ध हिंदी विद्वान और भाषाविद डॉ. विमलेश कांति वर्मा ने ने कहा कि सफरनामा के माध्यम से हमने अपने जीवन को समझ लिया। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसमें ज्ञान की अंतरकथा के सूत्र हैं। इसे पढ़ लेने का मतलब अपनी परंपरा को समझ लेना है।

इनकी रचनाओं को पढ़ते हुए अपनेपन का अहसास होता है l यह डायरी का भी सुख देती हैं और संस्मरण का भी l इनकी रचनाओं में भाषा का सौंधापन है l यह बतरस का सुख देती हैं l यह कहना था प्रसिद्ध लेखिका और राष्ट्रीय संग्रहालय की सहायक निदेशक अलका सिन्हा का ।

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कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रसिद्ध समलोचक और प्रेमचंद विशेषज्ञ डॉ. कमल किशोर गोयनका ने इसे ‘जिंदगीनामा’ कहा। यही नहीं उन्होंने कहा कि सफरनामा मन का संस्कार करता है। यह अमंगल का हरण करके मंगल करने वाली कृति है। इस पुस्तक के लेखों में भारतीय धर्म, दर्शन, कला और संस्कृति का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।

संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रसिद्ध लेखक अनिल शर्मा जोशी ने इसे पवित्र आत्मा का लेखन बताते हुए कहा कि लेखिका के लेखन की निरंतरता जहां एक और चकित करती है, वही दूसरी और इसकी गहराई दिल को छूती है। रोज लिखे जाने के बावजूद ये डायरी से अलग हैं। इनमें दर्शन अंतर्निहित है।

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