Saturday, April 27, 2024
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जीवन के लिये वरदान है विटामिन ‘‘ए’’

जीवन में यदि स्वस्थ रहना है तो जहां अन्य बिटामिनों की शरीर को आवश्यकता रहती हैं वहीं सबसे अधिक जिस बिटामिन की जरूरत होती है वह है बिटामिन ए। प्रतिदिन इसके सही मात्रा में उपयोग करने से स्वस्थ रहा जा सकता है, क्यों कि इस दिशा में अभी तक हुए शोध यही बताते हैं। हमारी त्वचा स्वस्थ और चमकदार रहे, हड्डियां मजबूत रहें, दांत स्वस्थ रहें व आंखों की रोशनी बनी रहे। इन सबके लिए हमारे शरीर को विटामिन ए की जरूरत पड़ती है। हालांकि यह हमारे भोजन में विभिन्न रूपों में पर्याप्त रूप से रहता है, लेकिन अगर इसकी कमी भी हो तो इसकी पूर्ति के लिए प्राकृतिक स्रोतों का ही लाभ उठाना चाहिए। यह हृदय रोगों, अस्थमा, डायबिटीज और कई तरह के कैंसर जैसे भयानक रोगों से भी बचाता है।
मातृ एवं शिश स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. व्ही.के.खरे का कहना है कि विटामिन ‘‘ए’’ शिश के जीवन के लिये वरदान है। 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं जीवन जीने की संभावना को भी बढ़ाता है, वही बाल मृत्यु दर में भी कमी लाता है। उन्होंने हिस बताया कि बच्चों में रोगों से लडऩे की क्षमता में वृद्धि, कुपोषण में कमी एवं दस्त खसरा से होने वाली मृत्यु में कमी लाने तथा रतौंधी से बचाव के लिये 9 माह से 5 वर्ष के सभी बच्चों को विटामिन ‘‘ए’’ का घोल पिलाया जायेगा। बच्चों में विटामिन ए की कमी के कारण पाचन मार्ग और श्वसन मार्ग के ऊपरी भाग में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जो कि उनकी मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।
कैसे पहचाने इसे
विटामिन ए वसा में घुलनशील विटामिन है। यह मुख्यतया रेटिनॉयड और कैरोटिनॉयड दो रूपों में पाया जाता है। रेटिनॉयड, जो दूध-दही आदि में पाया जाता है और कैरोटिनॉयड, जो पत्तेदार सब्जियों आदि में पाया जाता है। कुछ शारीरिक अवस्थाओं में विटामिन ए के रेटिनॉयड रूप की आवश्यकता होती है। सब्जियों का रंग जितना गहरा और चमकीला होगा, उनमें कैरोटिनॉयड की मात्र उतनी ही अधिक होगी। यूं तो करीब 600 तरह के कैरोटिनॉयड के बारे में जानकारी है, लेकिन बीटा-कैरोटिन, अल्फा कैरोटिन और बीटा-जैन्थोफिल सबसे महत्वपूर्ण हैं। इन्हें ‘प्रोविटामिन ए’ कहा जाता है। विशेष परिस्थितियों में शरीर इन्हें रेटिनॉयड में परिवर्तित कर लेता है।
विटामिन ए के प्राकृतिक स्रोत
विटामिन ए हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। यह अंडे, मांस, दूध, पनीर, क्रीम व मछली आदि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, लेकिन इनमें सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल भी काफी मात्र में पाया जाता है। हिस हरी सब्जियों में पालक, ब्रोकली , पपीता, आम, पत्तागोभी, गाजर, शकरकंद, कद्दू, दूध, मक्खन, अंकुरित अनाज इसके बेहतरीन स्रोत हैं।
विटामिन ए की उपयोगिता
विटामिन ए को रेटिनल भी कहते हैं, क्योंकि यह आंखों के रेटिना में पिग्मेंट्स उत्पन्न करता है। विटामिन ए हमारी आंखों की रोशनी को बनाए रखता है और कम रोशनी में भी चीजों को देखने में सहायता करता है। यह स्वस्थ त्वचा, दांतों, हड्डियों, मुलायम ऊतकों और म्युकस मेंब्रेन के लिए जरूरी है। यह प्रजनन और स्तनपान के लिए भी आवश्यक है। रेटिनॉयड विटामिन ए का सक्रिय रूप है। शरीर में प्रोटीन की कमी विटामिन ए के रेटिनॉयड रूप की कमी का कारण बन सकती है। विटामिन ए वसा में घुलनशील विटामिन है, इसलिए इसके अवशोषण के लिए उचित मात्र में वसा और जिंक का अवशोषण भी अत्यधिक आवश्यक है।
इसके अलावा यह विटामिन ए इम्यून तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे हमारी कोशिकाएं अति सक्रिय होने से बच जाती हैं। इससे कई तरह की फूड एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। विटामिन ए कोशिकाओं के सामान्य विकास और कार्यप्रणाली के लिए, प्रजनन तंत्र, पुरुषों में स्पर्म के उचित मात्र में निर्माण के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। विटामिन ए एक एंटीऑक्सीडेंट है। एंटी ऑक्सीडेंट्स वह पदार्थ होते हैं, जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं। हिस विटामिन ए हृदय रोगों, अस्थमा, डायबिटीज और कई तरह के कैंसर से भी बचाता है।
इसकी कमी से उत्पन्न खतरे
विटामिन ए की कमी एक समय आम बीमारी थी। इससे आँखों, पेट की अंदरूनी परत, श्वसन मार्ग और त्वचा पर असर होता है। इससे बीमारियों से लडऩे की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए स्वास्थ्यरक्षा के लिए विटामिन ए काफी महत्वपूर्ण होता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व के एक तिहाई बच्चे विटामिन ए की कमी से पीड़ित हैं। रतौंधी अर्थात जिन लोगों को कम रोशनी में ठीक से दिखाई नहीं देता, उनमें विशेष रूप से विटामिन ए की कमी पाई जाती है। वहीं जिन गर्भवती महिलाओं में विटामिन ए की कमी होती है, उनके गर्भावस्था और प्रसव के समय मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है और स्तनपान कराने में भी समस्या आती है।

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