Tuesday, September 17, 2024
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जब भाईचारे को ही मजाक बनाने लगें तो … 

चरण सिंह राजपूत

इसे भटकाव ही कहा जाएगा  कि जो हमारे देश की संस्कृति रही है उसी का मजाक बनाया जा रहा है। मजाक बनाने वाले कौन हैं ? वे लोग जो अपने को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताते हैं। एक धर्म की बात कर भला कैसे राष्ट्रवादी बना जा सकता है। एक धर्म से नफरत कर भला कैसे देशभक्त बना जा सकता है ? ये लोग अब तक तो धर्मनिरपेक्षता का ही मजाक बना रहे थे। अब तो भाईचारे का भी मजाक बनाने लगे हैं। धर्मनिरपेक्षता को तो ये लोग मुस्लिमों से जोड़कर देख ही रहे थे अब भाईचारे को भी मुस्लिमों से जोड़कर देखने लगे हैं।
क्या हिन्दुओं में ही विभिन्न वर्गों से मिलना-जुलना मेल – मिलाप की बात करना भाईचारा नहीं हैं ? ये क्या हो गया है इन लोगों को ? क्या जब इन लोगों गाड़ी खराब होती है और गाड़ी सही करने वाला मुस्लिम होता है तो ये लोग उससे गाड़ी ठीक नहीं कराते हैं ? क्या जब इनकी गाड़ी के टायर में पंचर हो जाता है और पंचर ठीक करने वाला मुस्लिम होता है तो क्या टायर का पंचर ठीक नहीं कराएंगे ? घर का पेंट करने वाला मुस्लिम है तो क्या पेंट नहीं कराएंगे ? क्या सब्जी वाले की जाति पूछकर सब्जी लेते हैं ? जमीनी हकीकत तो यह है कि जब आदमी का काम पड़ता है तो उसे हिन्दू मुस्लिम से कोई मतलब नहीं होता है। उसे तो अपना काम निकलना होता है। यह हिन्दू मुस्लिम तो सियासत करने के लिए बने हैं। वोटबैंक का खेल है। देश भाईचारे से ही चला है तो भाईचारे से ही चलेगा। जो लोग भाईचारे के दुश्मन हैं वे अपने अंदर बीमारी पाल रहे हैं। ऐसे लोगों की वजह से ही घर परिवार में कलह के मामले बढ़ रहे हैं। रिश्ते खराब हो रहे हैं। लोग अपनों से दूर होते जा रहे हैं। अच्छे समाज के लिए भाईचारा बहुत जरूरी है।

 

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