बीजेपी ने जिस तरह से सपा नेता आजम खान को टारगेट किया है और समाजवादी पार्टी खुलकर आजम खान की पैरवी नहीं कर पा रही है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर बीजेपी से मिलने के आरोप लग रहे हैं। समाजवादी नेतृत्व के ढुलमुल रवैये के चलते नाराज मुस्लिम वोटबैंक पार्टी से खिसक सकता है। वैसे भी आजम खान के अपने एनकाउंटर का अंदेशा जताना उनके समर्थकों को बेचैन कर रहा है। लोगों को कहना है कि उनके बेटे दो प्रमाणपत्र बनवाकर कोई इतना बड़ा अपराध तो नहीं कर लिया था कि अब्दुल्ला आजम के साथ ही उनके पिता मो. आजम खान और उनकी मां तंजीम फातिमा को भी सात सात साल की जेल कर दी गई। वैसे भी इस फैसले पर आजम खान ने कहा था कि यह फैसला आया है। न्याय नहीं मिला है। फैसले और न्याय में अंतर होने की बात भी उन्होंने कही। हालांकि अखिलेश यादव के बाद रामगोपाल यादव ने भी आजम खान को सजा मिलने पर बीजेपी पर निशाना साधा है उन्होंने कहा है कि यह मुसलमानों को परेशान करना इनका पैमाना है।
UP Politics : एक समाजवादी नेता की बेबसी!
चरण सिंह राजपूत
दरअसल समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान सियासत के क्षेत्र में बड़े बेबाकी से अपनी बातें रखते रहे हैं। मध्यम परिवार से राजनीति करने वाले आजम खान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने में अंग्रेजों का साथ देने वाली रामपुर रियासत के खिलाफ खड़े हुए और रामपुर में समजवादी पार्टी का परचम लहराकर राजनीतिक वजूद बनाया। आजम खान इमरजेंसी में लम्बे समय तक जेल में भी रहे।
आजम खान किसी समय समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के बाद सबसे अधिक पावरफुल नेता माने जाने वाले अमर singh की सियासत के शिकार भी हुए। अमर सिंह ने बेनी प्रसाद वर्मा और राज बब्बर के साथ ही मो. आजम खान को भी पार्टी से बाहर करवा दिया था। यह वह दौर था कि आजम खान ने केवल अमर सिंह के खिलाफ जमकर मोर्चा लिया बल्कि मुलायम सिंह को नहीं बख्शा। यह वह दौर था कि उनके परिवार का पालन पोषण उनकी शिक्षिका पत्नी की कमाई से ही चलता था। हालांकि बाद में उन्होंने मुलायम सिंह के स्वागत में लंदन से बग्गी भी मंगाई। उस समय उप पर भ्र्ष्टाचार करने और समाजवाद से भटकने का आरोप भी लगा था।
अमर सिंह से तो आजम खान की इतनी अदावत रही कि अमर सिंह ने अपनी सहयोगी नेता जया प्रदा को रामपुर से न केवल चुनाव लड़ाया बल्कि जितवाया भी। इतना ही नहीं अमर सिंह ने 2014 में बीजेपी से भी जया प्रदा को टिकट दिलवाया पर आजम खान के सामने जया प्रदा चुनाव हार गईं। यह वही चुनाव था जिसमें आजम खान ने जया प्रदा की चड्डी खाकी बताई थी। उस समय आजम के इस बयान पर बड़ा बवाल मचा था। आजम खान तो एक बार मुलायम सिंह को भी नपुंसक नेता तक कह गए थे। अमर सिंह को वह सियासी दलाल कहते रहे हैं।
अमर सिंह भी आजम खान पर बड़े मुखर रहे हैं। अमर सिंह अंतिम दिन में आजम खान को सबक सिखाने की बात करने लगे थे। कहा तो यह भी जाता है कि आजम खान समेत यादव परिवार के खिलाफ सारे सबूत बीजेपी को अमर सिंह ही देकर गए हैं। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ की एक जनसभा में मंच पर विराजमान अमर सिंह का नाम लेकर उनकी तारीफ की थी।
यदि आज की बात करें तो आजम खान न केवल परेशान हैं बल्कि बेबस भी हैं। उनका स्वास्थ्य बहुत खराब है। आजम खान जैसे कद्दावर नेता यदि अपने एनकाउंटर की बात कर रहे हैं तो समझ लीजिये वह कितने परेशान हैं। देखने की बात यह भी है कि जेल में डाल आजम खान के तेवर आज भी वही हैं। वह आज भी उसी अंदाज में बात करते हैं। उन्हें रविवार को तड़के 4.40 बजे जब रामपुर जेल से बाहर निकाला गया और सीतापुर जेल शिफ्ट करने की बात की गई तो उन्होंने न केवल पुलिस की जीप बल्कि प्राइवेट गाड़ी की बीच वाली सीट पर भी बैठने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा भले ही वे लोग उनके हाथ पैर तोड़ दें पर वह गाड़ी की बीच की सीट पर नहीं बैठेंगे। बाद में उन्हें पिछली सीट पर बैठाया गया।
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