चरण सिंह राजपूत
सभी चोर मोदी सरनेम वाले क्यों होते हैं वाले बयान पर आपराधिक मानहानि केस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अध्यक्ष राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने के बाद राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं, चर्चा यह भी है कि लोकसभा की सदस्यता बहाल करने में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला लम्बा खींच सकते हैं। हालांकि अब जितना भी राहुल गांधी को परेशान किया जाएगा उतना ही बीजेपी के खिलाफ जाएगा। चर्चा यह भी है कि 8-10 तक अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा में राहुल गांधी को भाग ही न लिया जाने दिया जाये। यदि हिस्सा लेते भी हैं तो उनको बोलने न दिया जाये।
कुछ भी हो सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी की सजा पर रोक लगने पर विपक्ष को सत्ता पक्ष पर आग उगलने का मौका मिल गया है। कांग्रेस में जान आ गई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि विपक्ष के कई नेता भी राहुल गांधी की सजा पर रोक से सकते में है।
दरअसल राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के दावेदार उभर कर सामने आ रहे थे। राहुल गांधी की सदस्यता बहाल होने के बाद अब राहुल गांधी के चेहरे के सामने सभी चेहरे फीके पड़ गए हैं। उधर कांग्रेस में भी अनिश्चिता की स्थिति है। कांग्रेस को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में मोर्चा संभाला जाएगा या फिर राहुल गांधी के ?
ऐसे में प्रश्न उठता है कि इस मामले में अब बीजेपी क्या चाहती है ? दरअसल गत दिनों राहुल गांधी ने लोगों की काफी सहानुभूति बटोरी है। मणिपुर में पीएम मोदी तो न जा सके पर राहुल गाँधी पीड़ितों से मिल आये। ऐसे में बीजेपी भी चाहेगी कि राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो जाये फिर वह अपना रोना नहीं रो पाएंगे कि उनको चुनाव लड़ने से रोकने के लिए यह सब किया गया है।
इसमें दो राय नहीं कि राहुल गांधी अपने संघर्ष से लगातार लोगों की सहानुभूति बटोर रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा से कद बढ़ाने वाले राहुल गांधी ने आज की तारीख में सधी हुई राजनीति की है। आज की तारीख में जब वातानुकूलित कमरों में बैठकर राजनीति हो रही है। ऐसे में कन्याकुमारी से जम्मू कश्मीर तक पैदल यात्रा कर राहुल गांधी ने अपने को साबित किया है। जिस तरह से वह हरियाणा सोनीपत में खेतों में घुसकर धान रोपने लगे, जैसे वह दो घंटे तक इस उमस भरी गर्मी में किसानों के बीच रहे। जिस तरह से उन्होंने इन किसानों को दिल्ली स्थित अपने आवास पर भोज दिया। ये सब बातें उनको जमीनी नेता बना रही हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि राहुल गांधी की राजनीति अब किस करवट बैठती है।