नोएडा । भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के बैनर तले बुधवार को सैकड़ों किसान कार्यकता ट्रैक्टर-ट्रॉली और गाड़ियों के साथ सेक्टर-33 स्थित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का घेराव कर महापंचायत शुरू की। भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना और मीडिया प्रभारी सुनील प्रधान ने बताया कि भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, अनियमितताओं एवं अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किसानों एवं कामगारों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार को लेकर आरटीओ कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर पंचायत की शुरुआत की है।
सुरक्षा के कड़े प्रबंध
इस दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। प्रदर्शनकारी किसान नेताओं का कहना है कि किसानों के ट्रैक्टर पर रॉयल्टी व टेक्स तक लागू नहीं होता, लेकिन, आरटीओ के अधिकारियों ने सारे नियम दरकिनार कर कोरोना काल में पहले से परेशान किसान पर उनके ट्रैक्टर की कीमत से भी ज्यादा पांच से आठ लाख रुपये तक की पैनल्टी लगाकर उनकी परेशानी ओर बढ़ा दी है। उनकी मांग है कि ये पैनल्टी तुरंत रद्द की जाए। चेतावनी भी दी कि जब तक मांग नहीं मानी जाएगी, तब तक आंदोलन खत्म नहीं किया जाएगा।
किसानों पर ओवर लोड के नाम पर यह पैनल्टी गुपचुप में लगाई गई है। वाहनों को बेचने या फिटनेस के दौरान उसे यह गुपचुप लगाई पैनल्टी बताई जा रही है। जो उसके वाहन की कीमत से भी डेढ़ से दो गुना तक है। जो सरासर नाइंसाफी है। 10 वर्ष पुराने ट्रैक्टरों को कबाड़ होने से बचाने, इनके चालान बंद करवाने की मांग की। आरटीओ के अधिकारियों द्वारा किसानों के ट्रैक्टरों पर नाजायज रूप से लाखों रुपये जुर्माना किया जा रहा है। ट्रैक्टर को कबाड़ किसी सूरत में नहीं करने देंगे। सरकार किसान की जिंदगी भर की खून पसीने की कमाई को कौड़ियों के भाव लूटने की साजिश रच रही है। इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
किसानों का दावा है कि विभाग के अफसरों पैसे लेते हुए कई वीडियो उनके पास उपलब्ध हैं। एआरटीओ के दफ्तर पहुंचे सैकड़ों किसान।ट्रैक्टर लेकर किया जोरदार प्रदर्श जारी है। जानकारी मिलते ही मौके पर भारी पुलिस फोर्स पहुंच गया। पुलिस ने पूरे ऑफिस को छावनी में तब्दील कर दिया है। एआरटीओ ऑफिस के चारों तरफ बैरिकेडिंग कर दी गई है। दूसरी तरफ किसानों ने टेंट लगाया है।
जिम्मेदार लोगों पर एक्शन की मांग
उनका कहना है कि जब तक एआरटीओ कार्यालय में जिम्मेदार लोगों पर एक्शन नहीं होता है, तब तक यहां से उठकर नहीं जाएंगे। किसान नारेबाजी कर रहे हैं। आरोप है की किसानों के ट्रैक्टरों को सीज कर बिना वजह परेशान किया जा रहा है। परिवहन विभाग के अफसर सड़कों पर खड़े रहते हैं। किसानों के ट्रैक्टरों को रोककर सीज कर देते हैं। किसान खेतीबाड़ी के काम में ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करते हैं।
एआरटीओ कार्यालय के कर्मचारी और अधिकारी इन्हें कमर्शियल एक्टिविटी में बताकर सीज कर रहे हैं। यह पूरी तरह किसानों के साथ अन्याय है। एआरटीओ कार्यालय पर किसानों की भीड़ के चलते पुलिस बल तैनात किया गया है। कार्यालय को छावनी में तब्दील कर दिया है। यहां काम पूरी तरीके से बंद है। वहीं, किसानों के प्रदर्शन के दौरान करीब आधे घंटे तक यातायात बाधित रहा। यहां से निकलने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। किसानों के प्रदर्शन के चलते यातायात डायवर्ट करना पड़ा इससे लोगों को परेशानी हुई।