फिरोजाबाद । सामान्य लोगों की तुलना में मधुमेह रोगियों में टीबी होने का खतरा कई गुना अधिक होता है। इसका सबसे बड़ा कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना है। कई मधुमेह रोगियों में टीबी के लक्षण नजर नहीं आये, लेकिन जांच में टीबी की पुष्टि हुई है। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ बृजमोहन का। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मधुमेह रोगी टीबी के संभावित लक्षण को जान नहीं पाते हैं और मधुमेह का ही साइड इफेक्ट मान बैठते हैं। डॉ बृजमोहन ने कहा कि टीबी मरीजों की शुगर, एचआईवी की जांच की जाती है। मधुमेह रोगियों को भी टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। कई बार मधुमेह रोगी टीबी से संक्रमित हो जाते हैं लेकिन उन्हें पता ही नहीं चलता। समय रहते टीबी का पता चलने और उपचार करने से टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। उन्होंने कहा कि टीबी एक गंभीर बीमारी जरूर है, लेकिन लाइलाज नहीं। इसलिए समय पर जांच अवश्य कराएं। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोगियों को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। टीबी अस्पताल फिरोजाबाद के प्रभारी डॉ. सौरव यादव का कहना है कि टीबी संक्रामक बीमारी है। यह माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है। फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य अंगों में भी टीबी हो सकती है। उन्होंने बताया कि टीबी दो प्रकार की होती है, एक पल्मोनरी टीबी दूसरी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को खानपान पर ध्यान देकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना चाहिए, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर टीबी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर मनीष यादव का कहना है कि मधुमेह रोगी टीबी की बीमारी की ओर ध्यान नहीं देते बल्कि इसे शुगर का दुष्प्रभाव ही मानते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार का प्रावधान है। साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार जारी रहने तक पौष्टिक आहार के लिए ₹500 की राशि प्रतिमाह डीबीटी के माध्यम से रोगी के खाते में भेजी जाती है। वर्तमान में जिले में करीब 4014 रोगी उपचाराधीन हैं। पचास वर्षीय संतो देवी (परिवर्तित नाम) ने बताया कि उनका पांच वर्ष से मधुमेह का उपचार चल रहा है, लेकिन जनवरी 2023 से उनको लगातार बुखार और भूख न लगने की समस्या हो गई। डॉक्टर से दवा लेने पर भी आराम नहीं मिला। उन्होंने कहा “हमें पता ही नहीं था कि यह सब टीबी के कारण हो रहा है हम मधुमेह के साइड इफेक्ट मानकर चल रहे थे। जब हमारे भाई को बीमारी की जानकारी हुई तो उन्होंने आगरा मेडिकल कॉलेज में दिखाया, जहां डॉक्टरों ने टीबी की जांच कराई, जिसमें टीबी की पुष्टि हुई। मार्च से नियमित टीबी की दवा का सेवन कर रही हूं और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार पौष्टिक आहार का सेवन भी कर रही हूं। फिलहाल स्वास्थ्य ठीक है और अब बुखार भी नहीं है।”