चरण सिंह राजपूत
सचिन तेंदुलकर को लोग क्रिकेट का भगवान मानते हैं। उन्हें भारत रत्न भी मिल चुका है। जो खेल को समझते हैं। उन लोगों ने हमेशा कहा है कि सचिन तेंदुलकर देश के लिए कम और अपने लिए अधिक खेलते रहे हैं। देश के लिए खेले हैं हॉकी के जादूगर ध्यानचंद, क्रिकेट में देश को पहला विश्वकप दिलाने वाले कपिल देव और सौरव गांगुली जैसे खिलाड़ी।
बृजभूषण शरण पर यौन शोषण के मामले में भी सचिन तेंदुलकर से कपिल देव और सौरव गांगुली सचिन तेंदुलकर से बेहतर साबित हुए हैं। सचिन तेंदुलकर के मुंह से पहलवानों के पक्ष में एक शब्द भी नहीं निकला है और कपिल देव पहलवानों का समर्थन किया है। पहलवानों का समर्थन करने वालों में हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह, वीरेन्द सहवाग और हरभजन सिंह सिद्धू।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि भारत रत्न सरकार का साथ देने वाले खिलाड़ी को मिलना चाहिए या फिर देश का साथ देने वाले को ? बृजभूषण बेशर्म बनकर शिलाजीत की रोटी खाने की बात कर आरोप लगाने वाले पहलवानों का मजाक बना रहे हैं। अपने समर्थकों को जंतर मंतर पर भेजने की बात कर रहे हैं।
लोग फैसला करें कि कोई सांसद या फेडरेशन का अध्यक्ष बड़ा है या फिर अंतर राष्ट्रीय खिलाड़ी ? प्रश्न यह भी उठता है कि राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति ही विभिन्न फेडरेशन के अध्यक्ष ही क्यों होते हैं ? इस आंदोलन में यह भी मांग उठनी चाहिए कि राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति खेल से संबंधित किसी फेडरेशन में नहीं होना चाहिए।