राजकुमार जैन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा के नुमाइंदे नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा अब तक की गई कारस्तानियों से हम सब अच्छी तरह वाकिफ हैं। उसको गिनवाना वक्त की बर्बादी है।
सरकारी पाले में मोदी सरकार के समर्थक, साफ तौर से डंके की चोट पर खड़े हैं। परंतु दूसरे पाले में दो तरह के लोग हैं पहली कतार में वे है जो शुरू से इस निजाम के खिलाफ हर तरह की तकलीफ सहते हुए और सहने की तैयारी में खड़े हैं, जो किसी भी कीमत पर इसको बर्दाश्त करने को तैयार नहीं। परंतु दूसरी एक जमात ऐसे लोगों की भी है जो मोदी विरोधी दिखना चाहते हैं परंतु किसी ज्ञात अज्ञात डर, लालच से ‘किंतु परंतु’ ‘ठीक भी है और नहीं भी’ ‘हम ना इधर है ना उधर’ ‘हम तो सच्चाई के साथ हैं” ‘हम पहले राज की भी सच्चाई जानते हैं’ ‘शासन किसी का भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता’ ”सब एक थैली के चट्टे बट्टे हैं’ ‘कांग्रेस भाजपा में कोई फर्क नहीं’ इस तरह के जुमले अक्सर बोलते लिखते हैं।
पर हकीकत क्या है? हम चाहे या ना चाहे नरेंद्र मोदी के जुल्मी शासन से निजात बिना कांग्रेस का साथ दिए या लिए आज के हालात में नहीं मिल सकती। संघियों की शातिरगिरी देखिए, पहले सोनिया गांधी के खिलाफ विदेशी होने का जहर फैलाकर देश को खतरा बताया। जब सोनिया गांधी सत्ता की दौड़ से अलग हट गई तो यह प्रचार पंचर हुआ। राहुल गांधी के खिलाफ बड़ी साजिश, योजनाबद्ध तरीके से मुसलसल प्रचार किया कि यह तो ‘पप्पू’ है, बबुआ है। यहां तक की उस पर चारित्रिक हमले भी किए गए। प्रधानमंत्री ने सरेआम कई बार दोहराया कि राहुल गांधी बिना कागज पढ़े 10 मिनट भी बोल नहीं सकता। वही राहुल गांधी जब संसद में खड़ा होकर बिना किसी पर्ची के सहारे मोदी को ललकारता है कि आप मुझसे बहस करो, मेरे सवालों का जवाब दो तो भाजपाइयों को सिवाय हल्ला करने के कुछ नजर नहीं आता। नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से बेदखल तथा सरकारी घर से निकाला। क्या इसको नजरअंदाज किया जा सकता है?
गलतफहमी ना हो, मैं यह साफ करना चाहता हूं कि मैं ना तो कांग्रेसी था और ना अब हूं। अब मैं गैर कांग्रेसी हूं। क्योंकि मैं देख रहा हूं कि नरेंद्र मोदी ने जम्हूरियत के सारे निशान मिटा दिए। हमारी गंगा जमुनी तहजीब में जहर फैला दिया। अब तक की सांझी दौलत को अपने यार दोस्तों में खैरात की तरह बांट कर उस पैसे से ही हिंदुस्तान के अखबारों टेलीविजनो के चैनल खरीद कर अपना एक तरफा भोपू बना लिया। अब साफ है कि हर कीमत पर नरेंद्र मोदी के राज के खिलाफ जत्थेबंदी के साथ यह जानते हुए भी लड़ना, कि इसका प्रतिशोध, हिटलर मुसोलिनी वाला ही होगा।