नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र फरवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। इसके हंगामेदार होने के संकेत हैं क्योंकि अध्यादेश के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष दोनों अपने रूख को सख्त बना रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने जहां इस मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों को ‘‘खाली कारतूस’’ कह कर खारिज कर दिया, वहीं कांग्रेस ने उसकी इस टिप्पणी को अनावश्यक बताया और कहा कि सरकार संसद से यह उम्मीद नहीं कर सकती कि वह उसके सभी फैसलों पर रबड़ स्टांप की तरह बस मुहर लगाये।
राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘संसदीय कार्य मंत्री का बयान अनावश्यक है। यह भाजपा और सरकार के टकराववादी मानस को दर्शाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम संसद में गतिरोध नहीं चाहते हैं लेकिन सरकार यह उम्मीद नहीं कर सकती कि संसद उसके सभी फैसलों और अध्यादेश का रास्ता अपना कर कानून बनाने पर मुहर लगाये।’’ शर्मा की यह टिप्पणी संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू द्वारा ‘‘अध्यादेश राज’’ के विपक्ष के आरोपों को खारिज किये जाने के एक दिन बाद आयी है। उन्होंने विपक्षी दलों की आलोचनाओं को तवज्जो न देते हुए कहा कि बजट सत्र में सरकार की अपनी राह होगी और विपक्ष की अपनी दलील। उन्होंने शीतकालीनसत्र के दौरान राज्यसभा में कामकाज न हो पाने के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘‘कोई चार्ज नहीं है। हम इसे डिस्चार्ज करेंगे। किसने कहा कि यह अध्यादेश राज है? अवरोधक राज लोकतंत्र का विकल्प नहीं हो सकता।’’ विपक्ष की ओर से ऐसे संकेत हैं कि वह संसद के बजट सत्र में अध्यादेश को एक बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास करेगा।
कांग्रेस और अन्य दलों ने हाल में भूमि अधिग्रहण कानून पर जारी किये गये अध्यादेश पर अपना विरोध जताते हुए सरकार के इस कदम को किसान विरोधी करार दिया। युवक कांग्रेस ने सोमवार को इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया जबकि जनता परिवार मसलन सपा, जदयू, राजद, जदएस और अन्य दलों ने भूमि अधिग्रहण और कोयला खदान पर जारी अध्यादेश के खिलाफ एक संयुक्त आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया है। सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि वह कांग्रेस सहित संप्रग के दलों से यह सवाल कर सकती है कि अपने दो कार्यकाल के दौरान उन्होंने कम से कम 61 अध्यादेश क्यों जारी किये थे।
सरकार अध्यादेश पर विपक्ष के विरोध की हवा निकालने के लिए विपक्ष शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों की ओर से मौजूदा कानून में बदलाव करने के सुझावों का हवाला दे सकती है। नायडू ने कहा, ‘‘मैं उन अध्यादेशों की सूची आपको दे सकता हूं जो कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार लायीं थीं और अब वे हम पर सवाल उठा रहे हैं।’’ शर्मा ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश पर पार्टी के विरोध को स्वर देते हुए कहा, ‘‘हम इसकी पड़ताल करेंगे। यह कोई ऐसी चीज नहीं जिसे इस तरीके से किया जा सके। जिस तरीके से यह किया गया उस पर हमारी घोर आपत्ति है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को कोई बदलाव करने का निर्णय करने से पहले राज्यों और विपक्षी दलों से विचार विमर्श करना चाहिए जैसा हमने किया था और विधेयक पारित किया था।