Monday, April 29, 2024
Homeअन्यस्कूलों में स्तरीय शिक्षा ना मिलने के कारण पड़ रही है प्राइवेट...

स्कूलों में स्तरीय शिक्षा ना मिलने के कारण पड़ रही है प्राइवेट ट्यूशन्स की ज़रूरत

बाहरी देशों की तरह भारत में भी प्राइवेट ट्यूशन्स का रिवाज सा हो गया है।  आजकल हर घर के बच्चे प्राइवेट टूशन लेते हैं और पेरेंट्स पूरी तरह निश्चिन्त हो जाते है की अब उनका बच्चा अच्छे भविष्य की तयारी में है।
इसी बढ़ती ट्यूशन्स की मांग के कारण कई लोगो ने तो इसे अपने बिजिनेस  बना लिया है और जगह जगह प्राइवेट टूशन सेंटर्स खोलकर एक अच्छी मोटी रकम वसूल रहे है। देखा जाए तो प्राइवेट ट्यूशन्स की इस प्रवृत्ति ने घरों के बजट को बिगाड़ के रख दिया है।
जैसा की हम सभी जानते है की देश में शिक्षा का स्तर सुधरने के लिए साल दर साल सरकारी खर्च में इज़ाफ़ा करा जा रहा है , पर क्या इस इज़ाफ़े से लोगों को कोई फायदा हुआ है या वह अभी भी अपने घर के बजट की चिंता सता रही है। पर ये कहना भी गलत नहीं होगा की स्थिति में सुधार की गुंजाईश नज़र आ रही है।
अभी हाल ही में किये गए नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइज़ेशन की रिपोर्ट के अनुसार देश में 7.1 करोड़ छात्रों की पढाई प्राइवेट ट्यूशन के भरोसे चल रही है और कुल घर खर्च में प्राइवेट ट्यूशन की हिस्सेदारी बढ़कर 12 फ़ीसदी हो गई है।
गौरतलब यह है की प्राइवेट ट्यूशन लेने में सबसे बढ़ी संख्या सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की है।
रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में सर्वाधिक गरीब परिवारों के 17 फ़ीसदी छात्र प्राइवेट टूशन लेने को मजबूर हैं जबकि संपन्न परिवारों में यह आंकड़ा 25 फ़ीसदी है।  इसी तरह शहरी इलाकों में गरीब तबके के 30 फ़ीसदी और संपन्न तबके के 38 फ़ीसदी छात्र प्राइवेट ट्यूशन ले रहे हैं।
अगर बात करें उच्च तबके की तो यहाँ तो सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी के अधिकतर छात्र प्राइवेट ट्यूशन्स ले रहें हैं।
आखिर क्यों प्राइवेट ट्यूशन्स की ज़रूरत पढ़ रही है? क्या स्कूल में उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही या इसके पीछे कोई और भी वजह है ?
नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइज़ेशन की रिपोर्ट के अनुसार 89 फ़ीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि विस्तृत स्कूली पाठ्यक्रम के चलते प्राइवेट टूशन लेना मज़बूरी है और अभिभावकों ने माना कि स्कूल में स्तरीय शिक्षा नहीं दी जाती है।  केवल 4 फ़ीसदी प्रतिभागी इस बात पर सहमत हुए कि परीक्षा और नौकरी के लिए तैयारी करने में प्राइवेट ट्यूशनों से मदद मिलती है।
क्या अभी भी देश के स्कूलों में स्तरीय शिक्षा नहीं मिल रही और अभिभावकों को मजबूरन अपने बच्चों के लिोए प्राइवेट ट्यूशन्स का सहारा लेना पढ़ रहा हैं।
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments