डा. पुष्पा सिंह विसेन
हमारे देश में वर्तमान सरकार ने हम महिलाओं के लिए महिला आरक्षण बिल पास करके बहुत ही अच्छा काम किया है। महिलाओं में बिना मिठाई के ही बहुत मिठास भरने की यह कोशिश बहुत अच्छी है।
लेकिन क्या सामान्य महिलाओं को आजकल की राजनीति में आने और काम करने का मौका, माहौल आजादी से उपलब्ध हो पाएगा? यह प्रश्न बहुत ही समय से मेरे कौधं रहा था, मेरी चुप्पी को तोड़ने की कुलबुलाहट के साथ इस प्रश्न ने कलम उठाने के लिए बाध्य कर दिया,और यह आवश्यक भी है। क्योंकि हमारे देश में सभी राज्यों में महिलाओं की दशा ऐसी है कि टिकट उनके नाम पर मिलता है और वो एक मोहरा भर बनकर रह जाती हैं। उनके पति,भाई, पिता एवं अन्य घर-परिवार के अन्य सदस्यों का कुनबा ही सभी कार्य करता है।ये राजनीतिक पार्टी के नेता मंत्री एवं शक्तिशाली सदस्य हमेशा से करते आए हैं। एक महिला साहित्यकार होने के कारण यह सब चिंतन को दायरे में रखना और सोचना, विचारना हमारी लेखनधर्मिता का हिस्सा है। तभी हम सही मायने में महिला आरक्षण को सफलतापूर्वक सार्थक बना पाएंगे। इस विषय को ध्यान में रखते हुए उन महिलाओं को इसमें मौका देना चाहिए जो राजनीतिक परिवारों से अलग हों और ईमानदार एवं परिश्रमी भी हो। सभी पार्टियों में ऐसी बहुत सारी महिलाएं हैं जो वर्षों से अपनी पार्टी के प्रति समर्पित होकर ईमानदारी से कार्य करती आ रही है और उन्हें कोई पूछता भी नहीं है।
लेकिन क्या सामान्य महिलाओं को आजकल की राजनीति में आने और काम करने का मौका, माहौल आजादी से उपलब्ध हो पाएगा? यह प्रश्न बहुत ही समय से मेरे कौधं रहा था, मेरी चुप्पी को तोड़ने की कुलबुलाहट के साथ इस प्रश्न ने कलम उठाने के लिए बाध्य कर दिया,और यह आवश्यक भी है। क्योंकि हमारे देश में सभी राज्यों में महिलाओं की दशा ऐसी है कि टिकट उनके नाम पर मिलता है और वो एक मोहरा भर बनकर रह जाती हैं। उनके पति,भाई, पिता एवं अन्य घर-परिवार के अन्य सदस्यों का कुनबा ही सभी कार्य करता है।ये राजनीतिक पार्टी के नेता मंत्री एवं शक्तिशाली सदस्य हमेशा से करते आए हैं। एक महिला साहित्यकार होने के कारण यह सब चिंतन को दायरे में रखना और सोचना, विचारना हमारी लेखनधर्मिता का हिस्सा है। तभी हम सही मायने में महिला आरक्षण को सफलतापूर्वक सार्थक बना पाएंगे। इस विषय को ध्यान में रखते हुए उन महिलाओं को इसमें मौका देना चाहिए जो राजनीतिक परिवारों से अलग हों और ईमानदार एवं परिश्रमी भी हो। सभी पार्टियों में ऐसी बहुत सारी महिलाएं हैं जो वर्षों से अपनी पार्टी के प्रति समर्पित होकर ईमानदारी से कार्य करती आ रही है और उन्हें कोई पूछता भी नहीं है।
अब महिला आरक्षण बिल के आने से उन सभी को विश्वास हुआ है कि शायद अब हमें भी मौका मिलेगा। इस संदर्भ में गम्भीरता से राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार को सोचना चाहिए और ईमानदारी से अपनी पुरानी महिला कार्यकर्ताओं को टिकट देकर एक मौका देना चाहिए। यही किसी भी पार्टी के उज्ज्वल भविष्य के लिए वरदान साबित होगा। क्योंकि सभी पार्टियों में इतनी लूट खसोट और नाइंसाफी है कि पत्नियों के माध्यम से राजनीतिक पुरुष अपनी राजनीतिक कुत्सित मानसिकता से अपना प्रयास जारी रखेंगे।और ईमानदार पत्नी प्रभावित होकर कुढ़ती रहेगी।
हमारे देश को परिश्रमी और ईमानदार नेताओं मंत्रियों की आवश्यकता है। यह सब मेरी व्यक्तिगत सोच एवं चिंतन हो सकता है लेकिन यह भी सत्य है कि मेरे देश के लोभी लालची नेताओं एवं मंत्रियों ने देश को खोखला कर दिया है। अगर माननीय प्रधानमंत्री जी एवं गृहमंत्री जी इतनी सुचिता से कर्मठ एवं ईमानदार महिलाओं को टिकट देते हुए यह भी ध्यान रखते हैं कि परिवारवाद की कहानी को भी नहीं दोहराना है तो अवश्य इस महिला आरक्षण विधेयक के माध्यम से हमारे देश में एक नयी क्रांति आएगी और देश समाज का पूर्ण विकास होगा और ईमानदार महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिलेगा जो हमारे वर्तमान सरकार में अपनी कर्मठता और ईमानदारी से सरकार को राष्ट्र को लाभान्वित कर देश के विकास में अपनी योग्यता का परचम लहराते हुए अपना नाम शिखर तक पहुंचाएगी और हमारे देश के मुखिया को एक मेहनती और ईमानदार महिलाओं का समूह मिलेगा।
किसी भी राजनीतिक दल के बड़े नेता मंत्री के घरों की महिलाओं को कम-से-कम इस बार टिकट नहीं देते हुए अन्य महिलाओं का ध्यान रखा जाए जो वर्षों से पार्टी के लिए कार्यरत हैं। और अपना कीमती समय अपनी-अपनी पार्टियों के लिए दिया है। उन महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए देश में महिला आरक्षणके इस राजनीतिक फैसले को सार्थक करना चाहिए।
किसी भी राजनीतिक दल के बड़े नेता मंत्री के घरों की महिलाओं को कम-से-कम इस बार टिकट नहीं देते हुए अन्य महिलाओं का ध्यान रखा जाए जो वर्षों से पार्टी के लिए कार्यरत हैं। और अपना कीमती समय अपनी-अपनी पार्टियों के लिए दिया है। उन महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए देश में महिला आरक्षणके इस राजनीतिक फैसले को सार्थक करना चाहिए।