चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली। किसान संगठन जहां किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं देश में अमन चैन कायम करने के लिए काम कर रहे हैं। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बिगड़ा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का माहौल 2020-21 में जाकर किसान आंदोलन में सुधरा। यही वजह रही कि जब मैंने खुद भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का इंटरव्यू लिया तो किसान आंदोलन की बड़ी उपलब्धि उन्होंने भाईचारा बताई थी। अब जब मणिपुर के बाद नूंह से शुरू हुई हिंसा हरियाणा के सोहना, गुरुगांव, पटौदी और फरीदाबाद में फैली और तथाकथित हिन्दू संगठनों ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया तो किसान संगठनों ने खाप पंचायतों, सिख संगठनों और मस्जिदों के इमामों को साथ लेकर हिसार के बांस गांव में एक पंचायत की।
किसान नेता और खाप पंचायत के चौधरी सुरेश कौथ ने कहा कि बीजेपी वोट के लिए दंगे करने में लगी है। नूंह हिंसा मामले में खट्टर सरकार पूरी तरह से विफल रही है। हरियाणा का माहौल नहीं बिगड़ने दिया जाएगा। दरअसल नूंह में हिंसा के बाद भले ही स्कूल खुल गए हों, भले ही इंटरनेट सुविधा शुरू कर दी गई हो, भले ही पुलिस प्रशासन अमन शांति की बात कर रहा हो पर अंदरखाने जो बातें सामने निकलकर सामने आ रही है, उसके अनुसार तथाकथित हिन्दू संगठन मुस्लिमों को काम न देने का आह्वान कर आ रहे हैं। हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों से पलायन अभी भी जारी है। हरियाणा में माहौल न बिगड़े इसके लिए जगह-जगह किसान संगठनों और खाप पंचायतें हो रही हैं। इन पंचायतों में सामाजिक भाईचारा को बनाए रखने की अपील की जा रही है।