भीम आर्मी के चीफ और आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद पर जानलेवा हमले के बाद उन्होंने अस्पताल से अपने समर्थकों से संयम बरतने की अपील इसलिए की है थी क्योंकि उन्हें अंदेशा था कि उनके समर्थकों का आक्रामक रुख जातीय संघर्ष का रूप ले सकता है। यही वजह रही कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद कानून व्यवस्था को लेकर उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर तो हमला बोला पर जातीय स्तर पर कुछ बोलने से वह बचे।
क्षत्रिय ऑफ़ अमेठी नाम से फेसबुक पेज से होने वाली भड़काऊ पोस्ट के बारे में पत्रकारों से सवाल पूछने पर भी उन्होंने यही कहा कि यो लोकतंत्र है कोई कुछ भी बोल सकता है। यदि वे लोग मुझे मारना ही चाहते हैं तो फिर मार दें। हम लोग तो संविधान के तहत अपनी लड़ाई लड़ेंगे। चंद्रशेखर तो बड़े संभल कर चल रहे थे पर उत्तराखंड के भीम आर्मी के अध्यक्ष महक सिंह ने माहौल को बिगाड़ने में आग में घी का काम कर दिया। उसने राजपूत समाज को अंग्रेजों की नाजायज औलाद कह दिया। भीम आर्मी के कुछ पदाधिकारियों ने यह भी कह दिया कि ये लोग समय, दिन और स्थान रख लें निपट लेंगे। भीम आर्मी का इतना बोलना था कि राजपूत समाज के लोग गुस्से में भर गए और जहां रुड़की कोतवाली में प्रदर्शन कर महक सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी।
उधर करणी सेना के अनुराग प्रताप सिंह ने नाम न लेते हुए कहा वह चेतावनी देते हैं कि जहां बुलाये आ जाएंगे। अपने पूर्वजों के खिलाफ किसी भी तरह की बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीजेपी और आरएसएस के बारे में कुछ भी बोलें पर राजपूत समाज के खिलाफ एक शब्द भी बोला तो फिर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हालांकि महक सिंह ने एक डिजिटल चैनल से बात करते हुए इस बयान पर राजपूत समाज से माफ़ी मांग ली है।
महक सिंह ने कहा है कि क्षत्रिय और अमेठी फेसबुक से जो अनाप शनाप पोस्ट डाली गई है उन लोगों के खिलाफ उन्होंने बोला था। यदि किसी कोई उनके बयान से ठेस पहुंची है तो वह माफ़ी चाहते हैं। हालांकि क्षत्रिय समाज के लोग इससे भी संतुष्ट नहीं हैं। वे बदला लेने की रणनीति बना रहे हैं।
उधर उत्तर प्रदेश के मंत्री रघुराज सिंह ने चंद्रशेखर के हमले को फर्जी करार दिया है। उन्होंने कहा कि रावण जैसे आदमी से योगी आदित्यनाथ बात नहीं करते हैं। ये लोग खुद पर हमला करवाकर सिक्योरिटी लेना चाहते हैं। चंद्रशेखर को सिक्योरिटी नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा है कि चंद्रशेखर क्या है। कोई विधायक है सांसद है। कितने संगठन चलाये हैं। कुढ़ मायावती उन्हें गंभीरता से नहीं लेती हैं।
चंद्रशेखर पर हमले के बाद न केवल अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और राकेश टिकैत बल्कि असदुद्दीन ओवैसी ने भी मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर अंगुली उठाई है। किसान नेता गुरुनाम चढूनी सहारनपुर जाकर आज़ाद से मिलकर आये हैं।