Friday, May 17, 2024
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Indian Politics : हिंदुत्व पर बोलकर क्या साबित करना चाहती हैं यूपी में चुप रहने वाली मायावती ?

चरण सिंह राजपूत 
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मौन धारण करने वाली बसपा प्रमुख मायावती क्या उत्तर प्रदेश की राजनीति छोड़कर देश की राजनीति करेंगी। बोल्ड शासक के रूप में जाने जानी वाली मायावती योगी आदित्य नाथ के शासन में शांत बैठी है। बसपा के नेता टूटकर सपा और बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। मायावती बीजेपी और कांग्रेस के शासित राज्यों दलितों के उत्पीड़न का आरोप तो लगा रही हैं पर उत्तर प्रदेश में मुंह नहीं खोल पा रही हैं। 
दरअसल नोएडा में उनके भाई आनंद के घर पर जब से इनकम टैक्स का छापा पड़ा है तब से मायावती की बोलती बंद है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि राजा भैया को पानी पिलाने वाली और अपने ही सांसद उमाकांत यादव को गिरफ्तार कराने वाली मायावती चुप क्यों हैं ? क्या भ्र्ष्टाचार के मुद्दे पर मायावती को बीजेपी ने पूरी तरह से चुप कराया हुआ है ? ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी

और कांग्रेस को घेरकर मायावती बिना उत्तर प्रदेश के क्या कर लेंगी ? वैसे भी भीम आर्मी बनाकर अपनी आज़ाद समाज पार्टी बनाकर ताल ठोकने वाले चंद्र शेखर आज़ाद ने दलित वोटबैंक में सेंध लगाना शुरू कर दिया है। सपा और रालोद के साथ ही कांग्रेस भी बसपा से अधिक तवज्जो चंद्रशेखर आज़ाद को दे रही है।
दरअसल हिंदुत्व के मुद्दे पर मायावती ने बीजेपी को घेरा है और कहा है कि कांग्रेस शासित राज्यों में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। दरअसल बसपा चीफ मायावती ने मंगलवार को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस कर बीजेपी और कांग्रेस को सवालों के कटघरे में खड़ा किया। मायावती ने एक ओर जहां उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी पर हमला बोला तो दूसरी कांग्रेस शासित राज्यों में दलितों की स्थिति पर भी चिंता जाहिर की।
बसपा चीफ मायावती ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेस कर बीजेपी और कांग्रेस को सवालों के कटघरे में खड़ा किया।
एक तरफ उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी पर हमला बोला तो दूसरी कांग्रेस शासित राज्यों में दलितों की स्थिति पर भी चिंता जाहिर की। पार्टी दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस कर मायावती ने कहा कि पिछले कुछ समय से, भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं कि कौन बड़ा ‘हिंदुत्ववादी’ और ‘हिंदू भक्त’ है। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है, कि दोनों अन्य सभी धर्मों की उपेक्षा कर रहे हैं, यह संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों को अन्य समुदायों का भी ख्याल रखना चाहिए, यही उचित होगा।
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