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हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर लंदन में हो जाएगा दिन में अंधेरा

By अपनी पत्रिका

March 20, 2015

भोपाल, । हिंदू नववर्ष की शुरुआत कल 21 मार्च से हो रही है। मध्यप्रदेश में इस त्यौहार को धूमधाम से मनाने के साथ ही चैत्र नवरात्र पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। प्रदेशभर में जहां देवी मंदिरों को सजाया जा रहा है, वहीं घरों में मिठाइयां आदि बनाकर नए वर्ष के स्वागत की तैयारी चल रही है। शक्ति की भक्ति के नवरात्र पर्व के आठ दिनों में से तीन दिन तीज त्योहार और शुभ योगों का संयोग रहेगा। पंडित अनिरुद्ध प्रसाद शास्त्री ने बताया कि नवरात्र पर्व में इस बार पंचमी और छठवीं तिथि एक ही दिन पड़ने से मां की उपासना आठ दिन ही होगी। शास्त्रों में नवरात्र पर्व में तिथि का टूटना ठीक नहीं माना जाता है, क्योंकि श्रद्धालुओं को जो ऊर्जा नौ दिन में मिलनी थी, उसमें 25 प्रतिशत कटौती होगी। चैत्र नवरात्र पर्व के प्रथम दिन गुड़ी पड़वा होने के साथ ही इसी दिन विक्रम संवत 2072 का शुभारंभ होगा। एक ओर जहां देशभर में नवसंवत्सर की तैयारियां चल रही है, वहीं नव वर्ष की पूर्व संध्या पर लंदन में दिन के समय पूर्ण अंधकार छाने वाला है। दरअसल, आज शुक्रवार को इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण है। मध्यप्रदेश समेत भारत के कुछ हिस्सों में तो यह सूर्य ग्रहण आंशिक रूप से दिखाई देगा, जबकि लंदन समेत कुछ देशों में खग्रास रहेगा। ज्योतिषमठ संस्थान के आचार्य पंडित विनोद गौतम ने सूर्य ग्रहण के बारे में हिस को बताया कि सूर्य ग्रहण पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र मीन राशि में होगा। भारत के बाहर उत्तरी गोलार्द्ध में सम्पूर्ण ग्रास के रूप में देखा जाएगा। ग्रहण का काल 1:11 से 05:20 तक है। यह ग्रहण लंदन में शोध का विषय होगा, खग्रास की स्थिति में लंदन में अंधेरा हो जायेगा, जो कोतूहल का विषय भी होगा। इस क्षेत्र के अलावा ईरान, ईराक, ईटली, रूस, स्वीडन, बिटेऊन, ऑस्ट्रेलिया, अलजीरिया आदि देशों में भी देखा जा सकेगा। पंडित विनोद गौतम ने बताया कि इस ग्रहण का प्रभाव नवरात्रि के घट स्थापना आदि उपासना पर नहीं पड़ेगा। इसके ठीक 15 दिन बाद एक पखवाड़े में हनुमान जंयती के दिन खग्रास चंद्र ग्रहण होगा हस्तनक्षत्र कन्या राशि पर होने वाला यह खग्रास चंद्र ग्रहण भोपाल में 38 मिनिट का होगा। इसका सूतक हनुमान जंयती को सुबह 09:37 से प्रांरभ होगा। इस ग्रहण में सुबह एवं रात्रि की हनुमान पूजा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा परंतु एक पखवाड़े पर दो ग्रहण खतरे की घण्टी तो है ही।

इधर, वक्री शनि महाराज को भी 10 वर्ष पश्चात् नव सवंद् सत्र की सत्ता प्राप्त हो रही है अखिल ब्रह्मांड के सर्वोच्च महा न्यायमूर्ति शनि गृह मंगल की राशि पर रहते हुए 10 अंश पर वक्री है। नववर्ष का प्रारंभ कर्क लग्न पर है, मगंल प्रधानमंत्री बनने के दो दिन बाद ही अपनी सत्ता मेष राशि में संभालेगें। न्याय व्यवस्था में कसावट फलस्वरूप तेजी तथा न्याय प्राप्त करने की लाईन में लगे लोगो को न्याय दिलायेगा, मीन राशि का ग्रहण समाज, धर्म, कर्म आदि के क्षेत्र तथा समुद्री क्षेत्र जलीय, तटीय स्थानों पर हानिप्रद है। भारत की प्रभाव राशि मकर के स्वामी शनि को सत्ता प्राप्त होने से न्यायहित कार्यो का प्रांरभ यहां से ही होगा इसके साथ जिन-जिन राशियों को साढ़े साती एवं शनि का प्रभाव चल रहा है उन्हें वर्ष भर शनि का प्रभाव साढ़े साती एवं ढैया के रूप में रहेगा।