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रात में बतायी पीड़ा, दिन में फांसी चढ़ी लाड़ली

By अपनी पत्रिका

March 26, 2015

नगर के सांकल रोड क्षेत्र में बीते रोज एक नवविवाहिता की फांसी से संदिग्ध परिस्थितियो में हुई मौत ने उसके ससुराल वालों को आरोपों के कठघरे में खड़ा कर दिया। मृतिका के मायके वाले चीख-चीखकर इसे हत्या करार देते हुए ससुराल वालों पर कठोर कार्यवाही की मांग कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक बुधवार को सांकल रोड निवासी सीतू पति संतोष विश्वकर्मा 24 वर्ष को सुबह करीब 10 बजे उसके पति संतोष ने घर के सामने वाले कमरे में फांसी पर लटकते देखा तो वह उसे नीचे उतारकर जिला अस्पताल लेकर आया जहां चिकित्सीय परीक्षण में वह मृत घोषित कर दी गयी। सीतू सीलिंग फेन के सहारे साड़ी के फंदे में झूलती पायी गयी थी। पेन से हाथ में लिखी थी मौत की इबारत जानकारी के मुताबिक मृतिका सीतू का मायका सागर जिले के ग्राम रजाखेड़ी में है। 7 मई 2014 को उसका विवाह नरसिंहपुर सांकल रोड निवासी संतोष पिता हरिशंकर विश्वकर्मा के साथ हुआ था। मृतिका सीतू को जब अस्पताल लाया गया तो उसके हाथ में पेन से लिखी एक अस्पष्ट सी इबारत नजर आयी अंतिम पंक्ति ही कुछ पड़ी जा सकती थी, जिसमें लिखा था कि सब लेटर में लिखा है, पर पुलिस को न तो घर से कोई सुसाईड नोट मिला और न ही मृतिका की बॉडी से। देखने से प्रतीत हो रहा था कि उसके हाथ में लिखे गये नोट को मिटाने की कोशिश की गयी है। पुलिस मामले को संदिग्ध देखते हुए तुरंत मृतिका के पति को पूछताछ के लिए कोतवाली में बिठलवा लिया। परिजनों ने लगाये गंभीर आरोप घटना की सूचना मिलने पर दोपहर करीब 2 बजे मृतिका सीतू के परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। जहां इनके द्वारा सीधा आरोप लगाया गया कि सीतू के ससुराल वालों ने ही उसे मारकर लटका दिया है। मृतिका के पिता देवी प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि सीतू सबसे छोटी होने के कारण घर में सबकी लाडली थी, हमें क्या पता था कि हम इसे हैवानों के घर में व्याह रहे हैं। इन्होंने बताया कि शादी के कुछ माह बाद ही सीतू अपने पति व ससुराल वालों से परेशान होकर घर आ गयी थी, तब उसने अपने पति के दुष्चरित्र होने की बात बताते हुए खुद के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार की जानकारी दी थी। इसके बाद सीतू का पति व सास-ससुर उसे लेने रजाखेड़ी आये थे तब रिश्तेदारों के बीच में संतोष विश्वकर्मा इस वायदे के साथ सीतू को अपने साथ नरसिंहपुर ले गया था कि अब शिकायत का कोई मौका नही मिलेगा।

 

मृतिका के पिता देवी प्रसाद ने बताया कि घटना की पूर्व रात्रि को करीब 9.30 बजे उनके पास बेटी सीतू का फोन आया था, तब मैं घर में नही था, इसलिए उसने कहा कि घर पहुंचकर मुझे फोन लगाना, वह बेहद परेशान था। इन्होंने बताया कि जब में रजाखेड़ी में अपने घर पहुंचा और सीतू को फोन किया तो वह फोन रिसीव नही कर रही थी। तीन-चार बार घंटी गयी पर किसी ने नही उठाया। दामाद संतोष के नंबर पर कॉल किया तो उसने भी नही उठाया। इन्होंने बताया कि बुधवार को जब सीतू की मौत हो गयी तब संतोष ने अपने किसी दोस्त से मुझे फोन लगवाकर यह जानकारी दी और हम यहां आये। पति के थे अवैध संबंध, मना करने पर करता था विवाद मृतिका के भाई मुरारी विश्वकर्मा ने बिलखते हुए बताया कि उसके जीजा का चरित्र खराब था एवं किसी दूसरी महिला से उसके संबंध थे, जिसकी जानकारी उसकी बहन सीतू की थी और वह अक्सर इसका विरोध करती थी, जिससे घर में तनाव बना रहता था। घर में कोई भी उसकी सुनने वाला कोई नही था, वह अपने मायके पक्ष के रिश्तेदारों को अपना दुखड़ा सुनाते रहती थी, मंगलवार की रात को उसने अपनी मामी को भी इस संबंध में फोन कर कहा था कि उसका पति सुधरने वाला नही है। मुरारी ने बताया कि एक बार तो उसका जीजा संतोष शराब के नशे में उसी के सामने किसी महिला से फोन पर प्रेम भरी बातें कर रहा था। न मंगलसूत्र मिला, न जेवर मृतिका सीतू के भाई का कहना था कि हमने अपनी बहन को शादी में सब कुछ दिया पर अस्पताल में लाये गये उसके मृत शरीर में कोई जेवर नही था, यहां तक की उसके गले से मंगलसूत्र भी निकाल लिया गया है। मुरारी का आरोप है कि सीतू ने हाथ में जो कुछ लिखा है उसे उसके पति ने मिटाने की कोशिश की है, इसलिए सुसाईड नोट भी उसी ने गायब किया होगा। इनका कहना है कि जब सीतू फांसी पर लटक रही थी तो उसकी मौत भी हो चुकी होगी, फिर संतोष उसे नीचे उतारकर सीधे अस्पताल क्यों ले आया? उसने पुलिस के आने की प्रतीक्षा क्यों नही की? उसका उद्देश्य सिर्फ वे सबूत मिटाना था, जिससे वे मामले से बच निकलें।