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चौबीस घन्टों में हुई लगातार बारिश से अन्नदाता मायूस

By अपनी पत्रिका

March 16, 2015

भिण्ड। लगातार हो रही बारिश ने अन्नदाताओं के सपनो पर पानी फेर दिया है खेतों में खड़ी फसल व कटी रखी फसल पूर्णत: नष्ट हो गई है तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदा की मार से जूझ रहा किसान अब पूरी तरह से निराश हो चुका है। इस वर्ष भी पुन: वेमौसम बरसात ने किसानों के अरमानों को क्षण भर में ध्वस्त कर दिया है तमाम कर्ज लेकर फसल की बोवनी की थी और सपने संजोये थे कि फसल घर आयेगी तो सारे कर्ज चुका दूंगा। किसी को अपनी बेटी की शादी तो किसी को बेटे की फीस तो कोई अपना कर्ज पटाने की उम्मीदें कर रहा था लेकिन देखते ही देखते वेमौसम बरसात में सबकुछ समाहित हो गया।

अत्यधिक सर्दी एवं कोहरे के कारण सरसों की भी फसल लगभीग पचास प्रतिशत से अधिक नुकसान हो चुका था शेष जो बची थी वह अब सढक़र नष्ट हो जाएगी। आरबीसी 6 (4) के तहत प्राकृतिक आपदा की भरपाई के लिए राजस्व विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन जिलाधीश मधुकर आग्नेय से इस आपदा के बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने खुले शब्दों में पांच से दस प्रतिशत नुकसान बताया है। ऐसी परिस्थिति में किसान क्या करे और किसके पास जाए कौन सुनेगा, इनकी फरियाद वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पचास प्रतिशत से अधिक नुकसान की बात दबी जुबान से कर रहे है लेकिन भय के कारण कोई भी किसानों का हमदर्द नहीं बनना चाहता है जहां सरकार द्वारा बड़े जोर शोर से प्रचार किया जाता है कि सरकार किसानों के साथ है लेकिन सरकार अपने नुमांइदों के सक्षम नतमस्तक हो गई है। अगर किसानों की बारिश से हुई क्षति का सही मुआवजा नहीं दिया गया तो सैकड़ों हजारों किसानों को मजबूरन आत्महत्या के लिए विवश होना पड़ेगा।