मुद्रा योजना मैं सरकार ने 50 हजार तक लोन को “शिशु योजना” 5 लाख तक के लोन को “किशोर” योजना एवं 10 लाख तक के लोन को “तरुण योजना” का नाम दिया है ! श्री खंडेलवाल देते हुए कहा की 6 करोड़ प्रतिष्ठानो को पूरा लाभ मिले इस हेतु इस योजना में 25 लाख तक के लोन को “प्रगति योजना” एवं 50 लाख तक के लोन को “विकास योजना” का नाम देकर जोड़ा जाये !
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज नई दिल्ली में माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) का लांच देश के नॉन कॉर्पोरेट छोटेव्यवसाय के लिए एक बड़ा नीतिगत और दूरगामी कदम है ! नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर के विभिन वर्गों के राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय संगठनों के शिखरसंगठन एक्शन कमेटी फॉर फॉर्मल फाइनेंस फॉर नॉन कॉर्पोरेट स्माल बिज़नेस के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने इस पहल कास्वागत करते हुए मुद्रा के द्वारा छोटे व्यवसायिओं को आसानी से क़र्ज़ मिल सकेगा जिससे इस सेक्टर का वित्तीय एवं सामाजिक समावेश होसकेगा !! एक्शन कमेटी गत एक वर्ष से लगातार नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए पृथक रूप से एक वित्तीय ढांचा गठित करने की जोरदार वकालतकर रही थी ! श्री खण्डेलवाल ने इस आर्थिक सुधार के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली का आभार व्यक्त किया है !
श्री खण्डेलवाल ने कहा की दुनिया का सबसे बड़ा असंगठित बाजार भारत में ही है और मुद्रा बैंक पहला ऐसा भारत केंद्रित कदम है जो इस सेक्टरकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करेगा ! अभी तक बैंकों द्वारा इस सेक्टर को ऋण देने में सदा आनाकानी की जाती थी जिसके कारन से ही मुद्रा बैंकके गठन की जरूरत महसूस हुई ! मुद्रा बैंक एक रेगुलेटर, डेवलपर और रिफाइनेंसर के रूप में काम करते हुए नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर को ऋणउपलब्ध करायेगा जिससे देश में व्यापार का और अधिक विकास होगा !उन्होंने कहा की किसी भी सरकार द्वारा “धनाभाव वर्ग को धन देने ” कीयह पहल देश की अर्थव्यवस्था को बदलेगी !
एक्शन कमेटी के प्रमुख घटक कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया मुद्रा को एक नियामक संस्थानबनाये जाने की जोरदार पैरवी करते हुए कहा की वर्तमान में सेल्फ हेल्प ग्रुप, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनीज, माइक्रो फाइनेंस कम्पनीज, ट्रस्ट,सोसाइटी आदि जो नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर को ऋण उपलब्ध कराते हैं, अनेक विभिन्न कानूनो के अंतर्गत आते हैं ! नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर के लिएवित्तीय क्षेत्र में एकरूपता बनाने के लिए इन सभी को मुद्रा के अंतर्गत लाते हुए मुद्रा को नेशनल हाउसिंग बैंक की तर्ज़ पर नियामक बनाया जाएऔर उसी तर्ज़ पर माइक्रो एवं छोटे व्यवसायों के विशाल संसाधनों के सम्पूर्ण दोहन हेतु मुद्रा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा अरे देश केकरोड़ों लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा !