नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए जदयू नेता नीतीश कुमार ने आज आरोप लगाया कि वह बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बहुमत साबित करने के लिए अधिक समय देने की पहल के पीछे थे ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त हो सके। मांझी को तत्काल बहुमत साबित करने के लिए कहे जाने की बजाए 20 फरवरी तक का समय दिये जाने के निर्णय को अस्वीकार करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि राज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी में ‘उच्चतम स्तर’ पर लिखी गई पटकथा का अनुसरण कर रहे हैं ताकि केंद्र की ओर से खरीद फरोख्त के लिए दिये गये लाइसेंस पर अमल किया जा सके। भाजपा पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए जदयू नेता ने कहा कि भाजपा ने मांझी से कहा है कि अगर उन्हें उसका समर्थन चाहिए तब वह 35 विधायकों को अपने पाले में लाएं और वह मांझी की मदद कर रही है। नीतीश ने कहा, ”पहले राज्यपाल की ओर से फैसला करने में देरी और उसके बाद उन्हें (मांझी) अधिक समय देना यह प्रदर्शित करता है कि यह दिल्ली में लिखी गई पटकथा के अनुरूप किया गया है और खरीद-फरोख्त के लाइसेंस पर अमल करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है।’’ अपने चिर प्रतिद्वन्द्वी मोदी पर निशाना साधते हुए जदयू नेता ने संवाददाताओं से कहा, ”यह फैसला उच्चतम स्तर पर किया गया। यह मांझी के प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शुरू हुई। राज्यपाल पहले सहमत थे कि शक्ति परीक्षण जल्द होना चाहिए। लेकिल मांझी की प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद चीजें बदल गईं। यहां पटकथा लिखी गई।’’ लोकसभा चुनाव से पहले मोदी का कद भाजपा में बढ़ाये जाने के बाद नीतीश कुमार की जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था और दोनों नेता अकसर एक दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि दिल्ली में आठ फरवरी को मोदी से मुलाकात के बाद मांझी के संवाददाता सम्मेलन में चीजें उभर कर आईं। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय हमेशा फोटा जारी करता है लेकिन मोदी और मांझी की मुलाकात के चित्र सामने नहीं आए। गौरतलब है कि कुमार ने बुधवार को 130 विधायकों को पेश करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी और उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। उनके साथ राजद, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामदलों के नेता भी शामिल थे। कुमार ने मांग की थी कि बिहार विधानसभा का सत्र जल्द बुलाया जाए जिसमें राज्यपाल मांझी को बहुमत साबित करने के लिए कहें।