नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने उस मामले में आरोप तय करने की खातिर जिरह सुनने के लिए 28 मई की तारीख नियत की है जिसमें सीबीआई ने, वर्ष 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कथित तौर पर एक फर्जी पत्र भेजे जाने के लिए आरोपपत्र में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और उद्योगपति अभिषेक वर्मा का नाम लिया है। सीबीआई की विशेष न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना को इस मामले में जिरह सात मई को सुननी थी। उन्होंने दिल्ली की सभी जिला अदालतों में वकीलों की हड़ताल के कारण जिरह सुनने के लिए 28 मई की तारीख नियत कर दी।
सीबीआई ने तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय माकन की शिकायत पर आरोपपत्र दाखिल किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि वर्मा ने वर्ष 2009 में कारोबारी वीजा मानकों में छूट की मांग करते हुए उनके लैटरहेड पर एक फर्जी पत्र सिंह को लिखा था। भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत जालसाजी के प्रयास के अपराध के लिए टाइटलर और वर्मा का नाम आरोपपत्र में आया। सम्मन जारी होने के बाद टाइटलर अदालत में पेश हुए थे और उन्हें जमानत मिल गई।
वर्मा अपने खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज विभिन्न मामलों के सिलसिले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में है। आरोप पत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि टाइटलर ने एक चीनी दूरसंचार कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने के लिए वर्मा के साथ ‘मिलीभगत’ की और कांग्रेस नेता ने कंपनी के अधिकारियों को यह कहते हुए ‘जाली और फर्जी’ पत्र दिखाया कि इसे माकन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखा है। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि ‘‘जांच से पता चला कि जगदीश टाइटलर ने मेसर्स जेडटीई टेलीकॉम इंडिया प्रा. लि. के साथ धोखाधड़ी करने के प्रयास में अभिषेक वर्मा के साथ सब कुछ जानते हुए मिलीभगत की।’’ अपने आरोप पत्र में जांच एजेंसी ने कहा है कि तत्कालीन (गृह): राज्य मंत्री अजय माकन द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री को संबोधित फर्जी और जाली पत्र के आधार पर जेडटीई टेलीकॉम इंडिया प्रा. लि. के साथ धोखाधड़ी करने के प्रयास में अभिषेक वर्मा और जगदीश टाइटलर के विचारों में समानता थी।