स्थानीय पूर्व विधायक, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व मंत्री हरियाणा 71 वर्षीय प्रौ. गणेशी लाल को भाजपा हाईकमान ने भाजपा की अनुशासन समिति का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। प्रौ. लाल की इस नियुक्ति को लेकर समर्थक उत्साहित हो, मगर इस समिति की कमान संभालना प्रौ. लाल के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं कहा जा सकता। प्रौ. लाल का राजनीतिक अनुभव कहीं ज्यादा है और वह शिक्षा विद् भी है, मगर क्या उनकी योग्यता और अनुभव बेलगाम हुए भाजपाई दिग्गजों पर लगाम पा सकेगा, यह प्र्रश्र उठ रहा है। भाजपाई सांसद साध्वी हो या साध्व, मंत्री हो या दिग्गज पिछले कुछ समय से अपनी बेजुबानी के लिए सुर्खियों में है। केंद्रीय मंत्री, बेजुबानी सांसद, विधायकों के बेजुबानी के चलते विरोधी दलों द्वारा पुतले तक जलाकर रोष व्यक्त किया जा चुका है। भाजपा के विदेश राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह ने अपने एक ट्वीट में मीडिया को लपेट लिया है। अनुशासन तथा भाजपाई सिद्धांतों से दूर रहने जनरल सिंह का विवादों के साथ चोली दामन का साथ कहा जा सकता है। जन्मतिथि के मामले में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुके जनरल सिंह पाकिस्तान स्थापना दिवस पर दिल्ली में स्थित पाक आयोग में आयोजित समारोह में भाग लेने उपरांत अपने ट्वीट को लेकर सुर्खियां बटोर चुके है। जनरल सिंह द्वारा एक टीवी चैनल के प्रधान संपादक की तुलना वैश्या से करके मीडिया पर चोट की है। क्या प्रौ. लाल अनुशासनहीनता की सीमा लांघ चुके भाजपाई मंत्रियों, सांसदों, विधायकों व दिग्गजों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में सफल हो पाएंगे, पर प्रश्र चिन्ह उठने लग गए है, क्योंकि शायद ही ऐसा कोई सप्ताह बीता हो, जब किसी भाजपाई दिग्गज ने अनुशासन को ठेंगा दिखाया हो? भाजपा आलाकमान की सोच प्रशंसा योग्य है, क्योंकि प्रौ. लाल स्वयं अपने जीवनकाल में अनुशासन से बंधे रहे हैै और उन्हें अनुशासन का ज्ञान है, मगर उनका अनुभवी अनुशासन ज्ञान भाजपाई दिग्गजों को प्रभावित कर पाएगा, यह तो आने वाला ही समय बताएगा ? भाजपाई दिग्गजों को अनुशासन दायरे में रखना प्रौ. लाल के लिए किसी चुनौती सेे कम नहीं आंका जा सकता।