नईदिल्ली। कश्मीर के विस्थापित पंडित और सिख कहाँ रहें, इस विषय पर पाक -परस्त अलगाववादी अनेक प्रकार की धमकियाँ दे रहे हैं और कश्मीर बंद भी करा रहे हैं।
इस पर कडी प्रतिक्रिया देते हुए विश्व हिंदू परिषद के आंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगडिया ने कहा, १९४७ से और फिर १९९० में और उस के बाद भी पाक-परस्त अलगाववादियों ने काश्मीरी पंडितों और सिखों का सामूहिक नरसंहार किया, उन्हें उन घरों-खेतों , दुकानों-कारखानों से मारकर, महिलाओं बेइज्जती कर विस्थापित किया। पाक-परस्त अलगाववादियों के वे अत्याचार आज भी उन सभी कश्मीरी पंडितों, सिखों के और भारत के हर नागरिक के दिलों की दुखती जख्म है।
उन्होनें कहा कि पाक के प्रति जिनका प्रेम दुनिया को पता है ऐसे जिहादियों ने किया हुआ वह महा भयंकर वंशीय नरसंहार था ! आज जब उन विस्थापित भारतीयों को उन के अपने खोये हुए अधिकार देने और उन का अपना क्षेत्र वापस देने की बात चली है। तब देशद्रोही अलगाववादियों का हक नहीं बनता कि वे काश्मीरी पंडितों, सिखों या भारत के किसी अन्य नागरिक को धमकियाँ दें, बंद घोषित कर ब्लैकमेल करें और यह बताएं कि काश्मीरी पंडित उन के अपने कश्मीर में कहाँ रहें! यह सम्पूर्ण क्षेत्र भारत का है। वहाँ कौन कहाँ रहें इस विषय में अपना नाक डालने का प्रयास अलगाववादी ना हो करें तो ही बेहतर होगा।
उन्होनें कहा कि पहले जिहादी मशर्रत आलम को रिहा करना, फिर दिल्ली में बार बार पाकी उच्चायुक्त से मिलना, फिर काश्मीर से सेना और सेना के विशेष अधिकार हटाने माँग राज्य सरकार से करवाना, उसी दौरान ३ घंटों में पोलिस और सेना पर ३ जिहादी हमलें और अब काश्मीरी पंडितों का पुनर्वसन कहाँ हो इस पर भी टांग अडाना ये सभी घटनाएँ यही दर्शाती हैं कि १९४७ और १९९० का आतंक दोहराने की ही दिशा में पाक-परस्त अलगाववादी बढ रहे हैं ! भारत की जनता मौन रहकर अब ऐसे जिहादी अत्याचार भारत पर नहीं होने देगी।
जम्मू कश्मीर के हिन्दुओं की और वहाँ सेना की सम्पूर्ण सुरक्षा की माँग दोहराते हुए डॉ तोगडिया ने कहा, काश्मीर में कश्मीरी पंडितों, सिखों और अन्य हिन्दू विस्थापितों को फिरसे सम्मान से पुनर्वसित करने के लिए और उस बाद वहाँ उन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार एक सर्वंकष समयबद्ध योजना बनाएँ और उसे देश के सामने रखें। पाक – परस्त अलगाववादियों के दबाव में देश नहीं झुकेगा ! ३ से अधिक पीढियाँ वहाँ अपना सब कुछ खोकर आक्रोशित हैं, ४ लाख से अधिक विस्थापित हैं, १९९० के बाद भी ७०,००० से अधिक भारतीय नागरिक घाटी में मारे गए हैं ! भारत अब ऐसे में अधिक सहने की मनस्थिति में नहीं।
उन्होनें काश्मीरी पंडितों और विस्थापित सिखों , अन्य हिन्दुओं के सभी मानवाधिकारों की रक्षा वे जहाँ फिरसे बंसना चाहते हैं वहाँ और वे जहां आज हैं वहाँ भी हो यह सुनिश्चित हो। जम्मू काश्मीर की सम्पूर्ण जमीन भारत की है और उसमें से एक इंच पर भी पाक-परस्त अलगाववादियों का अधिकार नहीं। जम्मू काश्मीर में हिन्दुओं के कल्याण के विषय में अपना पाकी नाक डालना अलगाव वादी तुरंत बंद करें। काश्मीरी पंडितों को घाटी में पुनर्वसित करने के विरोध में धमकियाँ देकर और दश् का ऐलान देकर अलगाववादियों ने देशद्रोह किया है। इस के लिए सरकार उन सभी अलगाववादियों को तुरंत गिरफ्तार करें और उनपर फास्ट ट्रैक न्यायालय में आतंक फैलाना और देशद्रोह के मुकदमें चलायें। ष्