कभी भी किसी को उच्च रक्तचाप की बिमारी हो सकती है, लेकिन कुछ सावधानी बरती जाए तो जरूर इसके कारण बाद में होने वाले अनेक बिमारियों से बचा जा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसा रोग है जिसके कोई लक्षण नहीं होते, जिसके कारण प्राय: पता ही नहीं चल पाता कि कब उसने हमें अपना शिकार बना लिया है। इसकाइलाज वक्त रहते शुरू नहीं किया गया तो आगे मरीज को हार्ट अटैक, गुर्दे फेल जैसी जटिलताओं से गुजरना पड़ता है। इसे रोकने का एक ही तरीका है और वह है नियमित रूप से बीपी की जांच । यह कहना है हिस से डॉ. विनीत चतुर्वेदी का।
डॉक्टर चतुर्वेदी बतातें हैं कि मरीजों को बीपी की बीमारी के बारे में पता ही नहीं चल पाता, शरीर में होने वाले परिवर्तनों को वह हल्के में ले लेता है तथा समय पर चिकित्सीय सलाह लेने में देरी करता है। आगे चलकर यही बात उसके लिए घातक सिद्ध होती है। वे बताते हैं कि ऐसे में मरीज कई बार लास्ट स्टेज पर पहुंच जाता है। सभी वयस्क लोगों को डॉक्टर के पास रूटीन मुलाकातें कर अपने बीपी की जांच अवश्य करानी चाहिए।
वहीं डॉक्टर विनोद बलेचा का कहना है कि है, विश्व मे हर साल लगभग 94 लाख लोगों की जान सिर्फ इसीलिए चली जाती है क्यों क िउन्हें उच्च रक्तचाप की शिकायत होती है और वे समय रहते उचति इलाज शुरू नहीं कर पाते हैं। उनके अनुसार हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट भी इस ओर इशारा करती है कि भारत में असामयिक मौतों के सर्वाधिक महत्वपूर्ण काराणों में से एक हाइपरटेंशन है। यहां 25 साल से अधिक उम्र के लोगों में से हर तीन में एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से प्रभावित मिल जाता है।
डॉक्टर बलेचा का यह भी कहना है कि उच्च रक्तचाप के रोगियों में से चौथाई से लेकर तिहाई लोगों को ही यह जानकारी होती है कि उन्हें यह रोग है, और उच्च रक्तचाप के रोगियों में से केवल पांच में से एक ही रोगी ऐसा जागरूक होता है जो कि समय पर अपना उपचार शुरू कर देता है।
जागरुकता रह कर बचा जा सकता है
डॉ विनीत कहते हैं कि सभी को इससे बचने के लिए स्वस्थ्य जीवनशैली अपनानी चाहिए, जिसमें अधिक स्वास्थ्यप्रद आहार लेना, धूम्रपान छोड़ना, शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना तथा नियमित व्यायाम करना व स्वस्थ्य शारीरिक वजन बनाए रखना, तनाव को प्रबंधित करना और अपने बीपी नंबरों की जानकारी रखना शामिल है।