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पुलवामा अटैक की दूसरी बरसी

By अपनी पत्रिका

February 14, 2021

आज का दिन

नेहा राठौर

आज का दिन यानी 14 फरवरी को हमेशा से लोग मोहब्बत का दिन वेलेंटाइन के रूप में मनाते है, लेकिन 2019 से इस दिन को पूरा देश काला दिवस के रूप में मानता है। आज पुलवामा आतंकी हमले को दो साल हो गए है, लेकिन आज भी इसके बारे में सुनते ही रुह कांप जाती है। एक तरफ इस दिन जहां देश में लोग प्यार का इज़हार कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर हमारे जवानों ने देश के लिए अपनी शाहादत दी। यह वो दिन है, जो भारत के 40 शहीद जवानों के घर में अंधेरा कर गया। जहां लोग अपनी प्रिय के साथ नई जिंदगी की कसमें खा रहे थे, वहीं देश के जवान वतन की सेवा के लिए अपनों को छोड़कर सीमा पर जा रहे थे। लोग अपनी मोहब्बत के लिए जान देने के वादे करते है, लेकिन ये वो वीर जवान है, जो वतन के लिए अपनी जान हथेली पर लिए चलते है।

14 फरवरी 2019 को, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के अवन्तिपोरा क्षेत्र में गुरुवार को आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के भारतीय सुरक्षा कर्मियों के काफ़िले को निशाना बनाकर उनपर हमला किया, जिसमें देश के 40 जवान शहीद हो गए। इस हमले के लिए महिंद्रा स्कॉर्पियो वाहन का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें 300 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक था। इस हमले के बाद कुछ क्षण के लिए सुन हो गया था। इसके बाद घायल जवानों को श्रीनगर के सेना बेस अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया।

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बाद में इस हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली। इतना ही नहीं इसके बाद उसने उस हमलावर आदिल अहमद डार उर्फ आदिल गादी टेकरनवाला उर्फ वाकास कमांडो की वीडियो भी जारी की, जिसने इस हमले को अंजाम दिया था। आदिल काकापोरा का निवासी था, जो सिर्फ एक साल पहले ही इस आतंकवादी संगठन से जुड़ा था। इस दिन सीआरपीएफ की आंठ गाड़ियों से अवन्तिपोरा से जा रही थी, तब ही विस्फोटक से भरी गाड़ी ने काफ़िले की गाड़ी को टक्कर मार दी और वहां ब्लास्ट हो गया।

हमले में शहीद जवानों की याद में कश्मीर के लेथपुरा कैंप में स्मारक बनाया गया, इस स्मारक पर सभी शहीद 40 जवानों के नामों लिखा गया। इस हमले की प्रतिक्रिया में देश ने रात को पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक कर जैश-ए-मौहम्मद के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। देश ने बदले लेने के लिए रात के अंधेरे में पाकिस्तान में तबाही मचा दी, लेकिन अपने देश के शहीद जवानों के घर में उजाला न कर सके। हमले के बाद सरकार की तरफ से पीड़ित परिवार के लिए जो मदद के वादे किए गए थे, सरकार की तरफ से उन्हें पूरा नहीं किया गया है। उन परिवारों ने आज भी सरकार से मदद की उम्मीद लगा रखी है, कि कभी तो सरकार को उनकी सुध आएगी और वो अपना वादा पूरा करेगी।

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