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विश्व बाघ दिवस के अवसर पर जानिए इसका महत्व

By अपनी पत्रिका

July 29, 2021

नेहा राठौर

विश्व में जानवरों की कई प्रजातियां है, जिनमें से कुछ तो विलुप्त भी हो चुकी हैं, इनमें से एक बाघ भी है जो कुछ साल पहले विलुप्त होने की कगार पर थे। ऐसे में घने जंगलों में रहने वाले बाघों को बचाने के लिए के लिए कई तरह के अभियान चलाए जाते हैं। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर की माने तो पिछले 150 सालों में जंगली बाघों की संख्या में करीब 95 प्रतिशत तक गिरावट आई है। इसलिए हर साल 29 जुलाई को बाघों की परिस्थतिकीय महत्व को दुनिया के सामने लाने के लिए विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है।

विश्व बाघ दिवस की शुरुआत

बता दें कि दुनियाभर में सिर्फ 13 देशों में ही बाघ पाए जाते हैं और उनमें से भी 70 प्रतिशत बाघ सिर्फ भारत में मिलते हैं। बाघों की संख्या की बात करें तो साल 2010 में बाघों की संख्या करीब 1 हजार 7 सौ थी। जिसके बाद बाघों की कम संख्या को देखते हुए उसी साल लोगों में बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग में शिखर सम्मेलन किया गया। जिसमें हर साल वैश्विक स्तर पर बाघ दिवस को मनाए जाने की घोषणा की गई। इस सम्मेलन में कई देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का निश्चय किया था।

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विश्व बाघ दिवस का महत्व

इस दिन का बड़ा महत्व है इस दिन के जरिए लोगों को बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके अलावा लोगों को पारिस्थितिक तंत्र में बाघों के महत्व के बारे में भी समझाया जाता है। जिसके चलते अब देश में तेजी से बाघों की संख्या बढ़ रही है। साल 2010 में की गई गणना के अनुसार बाघों की संख्या बढ़कर अब 2967 तक हो गई है।

ऐसे में जब देशभर में बाघों की संख्या बढ़ रही है तो उनके ऑक्युपेंसी एरिया भी बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में केरल, उत्तराखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ोतरी देखी गई है। बता दें कि हर चार साल में देशभर में बाघों की जनगणना होती है। साल 1973 में देशभर में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व ही थे, जबकि अब इस संख्या बढ़कर 51 हो गई है।

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