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किसानों के उग्र प्रदर्शन पर बोले अकाली दल के नेता ‘हिंसा के पीछे किसी बड़ी ताकत का हाथ

By अपनी पत्रिका

January 27, 2021

नेहा राठौर

कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर पिछले दो महीने से अड़े किसानों का चल रहा धरना –प्रदर्शन ने उग्र रूप धारण कर लिया। गणतंत्र दिवस के दिन मंगलवार सुबह से लेकर देर शाम तक पूरी राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली उपद्रव मचाया। इस हिंसा के कारण दो किसानों की मौत भी हो गई। पुलिस ने उपद्रव को रोकने के लिए किसानों पर आंसू बम के गोले और लाठियों का प्रयोग किया लेकिन पुलिस इस हिंसा को रोक पाने में नाकाम रही। हालात इस हद तक बिगड़ गए कि किसानों ने लाल किले पर की प्राचीर पर शर्मनाक हरकत करते हुए अपना झंडा तक फहरा दिया। पुलिस वालों पर लाठियों और तलवारों से हमला किया गया। DTC की बसे को नुकसान पहुंचाया और पुलिस की गाड़ियों में तोड़ फोड़ की। हिंसा के कारण दिल्ली मेट्रो ने कई स्टेशनों को बंद कर दिया।

मलसिया ने किया किसान नेताओं का बचाव

गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों की इस शर्मनाक हरकत पर अकाली दल मास्टर तारा सिंह ग्रुप के के नेता जसविंदर सिंह मलसिया का कहना है कि अगर सरकार किसानों की जायज़ मांगों को जल्दी मान लेती तो ऐसा नहीं होता। उन्होंने आगे कहा की जब भी कभी इस तरह का आंदोलन होते हैं तो इसमें शरारती तत्व यानी माहौल खराब करने वाले लोगों का आना निश्चित होता है क्योंकि वह ऐसे मौके की ही फिरात में रहते है  ताकि वह हिंसा फैला सके।

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जसविंदर सिंह ने कहा कि किसान नेताओं ने किसानों को हिंसा करने से रोकने की भी कोशिश की लेकिन वह नहीं रूके। उन्होंने किसानों का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता की किसान एक सीधा साधा जो पढ़ा लिखा भी नहीं होता वह ऐसी हिंसा नहीं कर सकता। इस हिंसा में किसानों की आड़ में आकर किसी बड़ी ताकत ने अपने इरादे को अंजाम दिया है। सरकार जल्द से जल्द गुनहगार को पकड़ कर सजा दे।

किसानों द्वारा लाल किले पर झंड़ा फहराने पर उन्होंने कहा कि किसानों ने लाल किले पर तिरंगा समेत तीन झंडे फहराए थे, जिसमें किसान झंड़ा और निशान साहिब झंड़ा शामिल था। जब उनसे खालसा झंडे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि तिरंगा अपनी जगह और खालसा झंड़ा अपनी जगह। तिरंगा राष्ट्र से जुड़ा है और निशान साहिब एक धर्म से, लेकिन निशान साहिब किसी एक धर्म का नहीं बल्की सबका झंड़ा है क्योंकि खालसा देश की लड़ाई में पीछे नहीं हटा है।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस हिंसा को अनदेखा कर कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए, जिससे किसानों जल्दी अपने घर चले जाएं।  

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