Wrestlers Protest : बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाले पहलवानों को अनुशासनहीन कहलवा रहे हैं पीटी ऊषा के लाभ के पद

उड़नपरी पीटी उषा यदि राज्यसभा सदस्य और ओलंपिक संघ की अध्यक्ष न होती तो बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बोलती

Charan Singh Rajput

जो लोग यह सोचते हैं कि जज, खिलाड़ी, अभिनेता, पत्रकार, साहित्यकार को राज्यसभा में भेजने उनके पेशे पर कोई असर नहीं पड़ता। वे लोग गलत सोचते हैं। देश में राज्यसभा किसी आयोग का चेयरमैन पद का लालच कहीं न कहीं संबंधित व्यक्ति का पेशा प्रभावित करता है। यदि पीटी उषा को राज्यसभा में न भेजा गया होता और वह ओलंपिक संघ की मुखिया न हुई होती तो आज की तारीख में जंतर-मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जंतर-मंतर पर बैठी महिला पहलवानों की प्रोटेस्ट को वह अनुशासनहीनता न कहतीं।
दरअसल लाभ के पद के लिए बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाली व्यक्ति का जमीर बिकता जा रहा है। यही वजह है कि सत्ताधीश इन लोगों का जमीर खरीद कर कुछ भी करवा ले रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले में भले ही फैसला कितना भी विश्वसनीय रहा हो पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा में भेजने पर उनके फैसले पर उंगली उठी थी।


आज यदि केंद्र सरकार सभी तंत्रों पर हावी दिखाई देती है तो इसकी बड़ी वजह है कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए बनाए गये तंत्रों न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और मीडिया में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को विभिन्न प्रकार का लालच देकर उनको सत्ता के दबाव में काम करने के लिए तैयार किया जाता है। वैसे तो लगभग हर सरकार में यह होता रहा है पर मोदी सरकार में यह कुछ ज्यादा ही देखा जा रहा है। वैसे तो केंद्र सरकार ने लगभग हर तंत्र को प्रभावित कर रखा है पर मीडिया को जैसे पूरी तरह से ही अपने लिए काम करने के लिए लगा दिया हो। देश के नेशनल चैनलों पर दिन भर उन मुद्दों पर डिबेट होती है या फिर खबरें चलती है जो सरकार के पक्ष में हों। इसे मीडिया का गिरता स्तर ही कहा जाएगा कि जिन पत्रकारों को सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता था जिनका रुतबा समाज में होता था वे उन पत्रकारों को डिबेट में ही विपक्ष के नेता दलाल कह देते हैं और ये पत्रकार बेचारा चुप रह जाते हैं।
आज यदि बेरोजगारी और महंगाई चरम पर होने के बावजूद केंद्र सरकार ने अपने पक्ष में माहौल बना रखा है उसका बड़ा कारण यह है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकतर लोग  सत्ता के लिए काम कर रहे हैं। लोगों को भ्रमित कर ऐसा माहौल बना रखा है कि जैसे मोदी राज में देश विश्व गुरु बनने जा रहा हो। क्या किसी धर्म विशेष की बात राष्ट्रवाद की बात जा सकती है। क्या किसी धर्म विशेष से नफरत पैदा कर देशभक्ति की बात हो सकती है।  यह जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग जनता के लिए न काम कर सत्ता के लिए काम करने का ही नतीजा है कि जब भी सरकार के खिलाफ कोई माहौल बनता है तो सरकार उस विभाग से जुड़े प्रभावशाली लोगों को माहौल को खत्म करने के लिए देती है। बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगा रहे पहलवानों को मैनेज करने के लिए केंद्र सरकार ने पहले बबीता फौगाट और योगेश दत्त शर्मा को लगाया था पर मामले को सुलझाने के लिए बनी कमेटी के एक महीने तक कुछ काम  न करने के बाद जब दूसरी बार ये महिला पहलवान जंतर-मंतर पर बैठे हैं तो बबीता फौगाट और योगेश्वर दत्त शर्मा नहीं नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस बार केंद्र सरकार ने ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा से बयान दिलवाया है।

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