Saturday, April 20, 2024
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बीजेपी और आप की लड़ाई में कौन सच्चा, कौन झूठा

दो पाटों के बीच फंसी दिल्ली की जनता

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी और भाजपा की आपसी सिर फुटव्वल में दिल्ली की जनता खुद को असहाय महसूस कर रही है। दोनों दल जनता के किसी मुददे को लेकर नही, लोगों की नजर में खुद को सच्चा साबित करने के लिए आए दिन नाटकबाजी करने नजर आ रहे हैं।दोनों दलों ने नेता एकदूसरे के खिलाफ तलवारें भांजते हुए दिखाई दे रहे हैं। आरोप.प्रत्यारोप और धरने, प्रदर्शन कर रहे है।

सीएम हाउस के बाहर धरना

दिल्ली नगर निगम के तीनों मेयर पिछले 10 दिन से मुख्यमंत्री हाउस के बाहर धरने पर बैठे हैं। वह दिल्ली सरकार ने निगम के बकाया 13 हजार करोड़ रूपए मांग रहे है। भाजपा नेताओं का दावा है कि निगम का दिल्ली सरकार में यह पैसा निकल रहा है। लिहाजा यह राशि उसे दे जाए ताकि वह अपने कर्मचारियों को 5.6 माह का बकाया वेतन दे सकें।

13 हजार करोड़ कब दोगे

भाजपा नेताओं ने समूची दिल्ली में, 13 हजार करोड़ रूपए कब दोगे मुख्यमत्री जी, नारे लिखे बैनर, पोस्टर, पैम्फलेटस लगा रखे हैं। अगर भाजपा से पूछा जाए कि दिल्ली की दीवारों पर लिखकर पैसे मांगने का यह कौनसा तरीका है। इन प्रचार या दुष्प्रचार पर आपने लाखों रूपए खर्च कर दिए लेकिन निगम के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं और दिल्ली सरकार से मांगने के लिए प्रपंच किया जा रहा है।

एमसीडी में 2500 करोड़ घपले का आरोप

आम आदमी पार्टी निगम पर आरोप लगा रही है कि उसने एमसीडी को कर्ज दे रखा हैं। वह कर्ज उसे अदा करें। इसके अलावा आप नेताओं का आरोप है कि एमसीडी में भाजपा द्वारा 2457 करोड़ रुपये का घपला किया गया है। इसके खिलाफ आप के विधायक आंदोलन कर रहे हैं।दिल्ली नगर निगम में हुए कथित घोटाले को लेकर दिल्ली सरकार ने कल 17 दिसंबर का विधानसभा का एक दिवसीय सत्र भी बुलाया है।इधर आम आदमी पार्टी दिल्ली पुलिस पर भी आरोप लगा रही है कि वह भाजपा की तरफदारी कर आप नेताओं को प्रताड़ित कर रही है। मुख्यमंत्री केजरीवाल को नजरबंद करने के आरोप लग रहे हैं। विधायक एलजी और केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह से मिलने जाना चाहते थे तो उन्हें गिरफतार कर लिया गया।

आवाज दबाने का आरोप

आम आदमी पार्टी द्वारा उसके नेताओं की आवाज दबाने की बातें कही जा रही हैं।इस तरह दोनों पार्टियां एकदूसरे के खिलाफ सड़कों पर उतरी हुई हैं। उधर इनके झगड़े के बीच दिल्ली की जनता का बुरा हाल हो रहा है। निगम की स्कूलों के शिक्षकों, निगम अस्पतालों के कर्मचारियों, सफाईकर्मियों के वेतन कई महीनों से बाकी चल रहे हैं। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में कर्मचारियों के परिवारों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। आम जनता गंदगी, महंगाई, बीमारियों के चलते त्रस्त हैं। कर्मचारी हड़ताल कर चुके हैं। उन्हें वेतन देने के झूठे आश्वासन दिए जाते हैं।

पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पा रही है।कोरोना के चलते लाक डाउन ने पहले से ही जनता का हाल बेहाल है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, रोजगार, व्यापार की व्यवस्था पहले से बुरे दौर में पहुंच चुकी है। लाखों लोगों के सामने रोजी रोटी, कामधंधा, बीमारी जैसी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है।

कौन सच्चा है, कौन झूठा

 इस सारे एपिसोड में कौन सच्चा है, कौन झूठा है, यह सब जनता देख.समझ रही है। नेता भले ही समझते होंगे कि वे इस तरह नाटकबाजी करके एकदूसरे को दोषी ठहरा कर जनता को बेवकूपफ बना देंगे या भ्रमित कर देंगे लेकिन दिल्ली की जनता की जनता बहकावे में आने वाली नहीं है। वह सब समझ रही है।दरअसल दोनों की पार्टियां अपनी जान बचाने के लिए एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगाकर झूठा दिखावा कर रही हैं। दिल्ली में इन नेताओं के बचकाने नाटकों की श्रंखला चल रही है।

मालूम हो कि दिल्ली की गंदगी पर सुप्रीम कोर्ट तक कई बार सख्त टिप्पणियां कर चुका है पर इस के बावजूद सफाई और सफाई कर्मचारियों को वेतन देने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार और भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम कोई ठोस हल नहीं निकाल पाया है।

निगमों में भाजपा का राज

दिल्ली नगर निगम तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। पूर्वी दिल्ली निगम, उत्तरी और दक्षिणी निगम। तीनों निगमों में भाजपा का राज है जबकि दिल्ली में सरकार आम आदमी पार्टी की है। साफसफाई का काम स्थानीय निकायों का है। दिल्ली निगम के सफाई कर्मचारियों, अस्पताल कर्मियों, शिक्षकों की हड़ताल कई दिनों तक चली और इस दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा नेताओं के बीच रोज तकरारें होती रहीं। इस हालात के लिए एकदूसरे को दोषी ठहराया जाता रहा।दिल्ली निगम के कर्मचारी वेतन, दिवाली पर बोनस और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने जैसी कुछ मांगों को ले कर हड़ताल पर थे।

एकदूसरे के खिलाफ मोर्चा

निगम कर्मचारियों ने धरने,प्रदर्शन किए। हड़ताल के दौरान दिल्ली में सफाई का काम ठप्प हो गया। सड़कों, गलियों में कूड़ेकचरे के ढेर लग गए। आज भी स्थिति यही है।
उधर नेता आपस में एकदूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल कर खड़े हो गएण् दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र ने सफाई कर्मियों का पैसा दिया नहीं है जबकि दिल्ली भाजपा के नेताओं का कहना था कि पैसा केंद्र तो दे चुका है पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने कर्मचारियों के हिस्से का पैसा नहीं दियाण् केंद्र सरकार ने दिल्ली को आवंटित पैसे का सही उपयोग न करने का आरोप लगाया है।दरअसल दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों को ही नहीं, अस्पतालों में डाक्टरों तक को समय से वेतन नहीं मिल पाता।

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वेतन को ले कर हड़ताल

अस्पताल के कर्मचारी भी आए दिन वेतन को ले कर हड़ताल पर रहते हैं।हैरानी की बात है कि केंद्र सरकार की नाक के नीचे राजधानी दिल्ली में साफसफाई और स्वास्थ्य से जुड़ महकमों को महीनों तक वेतन नहीं मिलना लापरवाही और आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का नतीजा है। राजनीतिक नफानुकसान के चक्कर में आम जनता पिस रही है।

बुनियादी कामों में अड़चनें

कई बार लगता है दिल्ली में विपक्ष आम आदमी पार्टी की सरकार को तंग करने के मकसद से भाजपा और केंद्र सरकार आम जनता से जुड़े बुनियादी कामों में बेवजह की अड़चनें पैदा करती है। यह एक बड़े दल और उस की ऊपर केंद्र में बैठी सरकार के लिए शोभा नहीं देता। दिल्ली की टैक्सपेयर जनता का क्या कसूर है। आपसी राजनीतिक लाभ के फेर में जनता को परेशान क्यों किया जाए।ऐसे विकट में राजनीतिक दल जनता के प्रति ईमानदारी से काम करते दिखाई देने चाहिए लेकिन हो रहा है उल्टा।

जिम्मेदार मौन साधे हैं

आश्चर्य की बात यह है कि जिनकी जिम्मेदारी है वह मौन साधे बैठे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल यहां के प्रशासक हैं। वह दोनों दलों के ड्रामे देख रहे हैं लेकिन उनकी ओर से पहल क्यों नहीं दिखाई नहीं दे रही। केंद्रीय ग्रह मंत्रालय भी खामोश है। वह दोनों ओर के नेताओं और अधिकारियों की बैठक बुलाकर कर्मचारियों के बकाया वेतन की राशि जारी कराएं और जनता की परेशानियों का तत्काल हल निकालें।

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