नेहा राठौर (13 जनवरी)
आज का दिन यानी 13 जनवरी को कई जगहों पर स्टिकर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका भी अपना ही एक अलग महत्व है। स्टिकर व्यक्ति की भावनाओं को दर्शाता है। स्टिकर कई अलग अलग रंग और प्रकार के होते है। आज के दिन में हर तरह के स्टिकर के लिए मनाया जाता है। हर स्टिकर के पिछे कोई न कोई इतिहास छुपा हुआ है। इन स्टिकर का इस्तेमाल स्थिति के आधार पर सजावट या जानकारी के लिए किया जाता है। स्टिकर को हम लंच बॉक्स, पेपर प्लानर, लॉकर या नोटबुक में और भी कई जगह इस्तेमाल किया जाता है।
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स्टिकर का इतिहास
1880 में यूरोपीय व्यापारियों ने अपने उत्पादों को लेबल देने के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया था, अपने माल को बढ़ावा देने के प्रयास में और राहगीरों को चेतावनी देने के लिए कि कोई इसे छेड़ेगा तो वो सजा का पात्र होगा थी। लेबल का पालन करने के लिए गोंद के पेस्ट का उपयोग किया जाता था इसलिए इसे “स्टिकर” कहा जाने लगा। 1900 तक एक स्टिकर-विशिष्ट एक अलग तरह का पेस्ट बनाया गया था और ज्यादातर लोगों द्वारा उपयोग किया गया था, सबसे ज्यादा टिकटों पर, जो सूख जाने पर फिर से पेस्ट लगाने पर फिर से लागू होगा।
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आर स्टैंटन एवरी के सम्मान में स्टिकर डे 13 जनवरी को मनाया जाता है, जो उस दिन 1907 में पैदा हुआ था। आर स्टैंटन एवरी रैग्स-टू-रिच का काम करते थे, जिसने पहला व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य आत्म-स्टिकिंग, छील-बंद लेबल बनाया और उसकी स्थापना की। यह आर स्टैंटन एवरी ही थे, जिन्होंने 1935 में इसका आविष्कार किया और एक नई कंपनी और एक नया उद्योग शुरू किया।
कुछ इस तरह मनाए स्टिकर दिवस
अगर आप किसी को कोई उपहार दे रहे है तो आप उसपर इन स्टिकर का इस्तेमाल कर सकते है। आज कल बच्चे अपनी किताब और कॉपी पर भी चिपकाते है। इतनी ही नहीं लोग तो आजकल सजावट के लिए दीवारों पर और फ्रिज पर भी लगाते है ताकि दिवारें सुंदर दिखे। आप इन्हें गाड़ियों पर और भी कई जगह इस्तेमाल कर सकते है। अब बाहर ही नहीं फोन में भी स्टिकर भेज सकते है। आप किसी भी व्यक्ति को स्टिकर के जरिए नमस्कार का स्टीकर भेज सकते है।
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