संदीप पांडेय
1917 में इंग्लैण्ड के बॉलफोर घोषणा के बाद, जिसमें फिलीस्तीन में यहूदियों के लिए देश बनाने की बात कही गई, 1947 में संयुक्त राष्ट्र संघ में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें दो देश बनाने की बात कही गई। इजराइल तो बन गया लेकिन विडम्बना यह है कि दूसरा देश आज तक नहीं बना। फिलीस्तीन के लोग अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और इजराइल उन्हें खत्म करना चाहता है।
1947 से लगातार इजराइल का क्षेत्रफल बढ़ता ही गया है और फिलीस्तीन सिकुड़ता गया। फिलीस्तीन की भूमि कब्जा करने के अलावा इजराइल ने फिलीस्तीनी इलाकों को यहूदी लोगों को बसाया है। समझौतों में इजराइल पीछे हटने को तैयार भी हो जाता है तो वास्तव में पीछे नहीं हटता।
अब फिलिस्तीन के दो भूभाग में से एक गजा में हमास की चुनी हुई सरकार है। इजरायल और अमरीका हमास को आतंकवादी संगठन बताते हैं। हमास ने हाल में इजराइल पर हमला किया। 17 सितम्बर, 2023 को अल-अक्सा मस्जिद, जो जेरूसलम में स्थित है और यह स्थान तीनों धर्मों – यहूदी, ईसाई व इस्लाम े- के लिए महत्वपूर्ण है, इजराइल ने यहां यहूदियों को प्रवेश करने दिया किंतु अरब लोगों को रोक दिया। इसलिए हमास ने अपनी कार्यवाही का नाम अल-अक्सा के नाम पर दिया है।
हमास के हमले का समर्थन नहीं किया जा सकता किंतु पिछले 76 सालो में इजराइल ने फिलीस्तीनियों के ऊपर जो अत्याचार किया है उससे उसकी तुलना भी नहीं की जा सकती।
हम मांग करते हैं कि इजराइल तुरंत गजा के ऊपर हमले बंद करे, हमास के पास जो भी इजराइली नागरिक बंदी हैं उन्हें रिहा किया जाए। साथ ही इजराइल की जेलों में बंद हजारों फिलीस्तीनियों को छोड़ा जाना चाहिए और सबसे महतवपूर्ण बात कि फिलीस्तीन नामक देश अस्तित्व में आना चाहिए जिसे एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ की मान्यता मिलनी चाहिए। अमरीका और पश्चिमी देशों को इजराइल का साथ देने के बजाए इजराइल और फिलीस्तीन के बीच तटस्थ मध्यस्थ की भूमि अदा करते हुए दोनों के बीच विवाद का हल निकालने में मदद करनी चाहिए।