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रेप आरोपी नित्यानंद के देश कैलासा का अस्तित्व दिखा यूएन बैठक में, आप भी बना सकते हैं अपना अलग देश

By अपनी पत्रिका

March 04, 2023

विवादास्पद स्वयंभू धर्मगुरू नित्यानंद के तथाकथित देश संयुक्त राज्य कैलासा के प्रतिनिधियों ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में भाग लिया। इसके साथ ही खुद को भगवान बताने वाले नित्यानंद का कैलास नाम का एक हिन्दू राष्ट्र चर्चा में आ गया। अब लोगों के दिमाग में यह प्रश्न उठा रहा है कि भला कोई व्यक्ति या क्षेत्र कैसे अपना अलग देश बना सकता है?आइये इस लेख में जानते हैं कि क्या आप भी अपना देश बना सकते हैं।

नई दिल्ली, 04 मार्च। संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में कैलासा की इस भागीदारी से भारत में कई लोग आश्चर्यचकित हैं।  इस प्रतिनिधिमंडल में सभी सदस्य महिलाएं थीं। नित्यानंद ने प्रतिनिधिमंडल की तस्वीरें अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट की थीं। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में विजयप्रिया नित्यानंद भी शामिल थीं। वह संयुक्त राष्ट्र में कैलासा की पहली भागीदारी का चेहरा बन गई हैं। इसके साथा ही कैलासा और रेप का आरोपी नित्यानंद भी चर्चा में आ गया। कुछ दिनों पहले मीडिया में ऐसी ख़बरें आईं कि खुद को भगवान बताने वाले नित्यानंद ने अपना देश बना लिया है, जिसका एक राष्ट्रीय झंडा है, राष्ट्रीय पशु है, एक डिपार्टमेंट ऑफ़ कॉमर्स, डिपार्टमेंट ऑफ़ मानव संसाधन और  डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड एंड सिक्यूरिटी भी  है. ख़बरों में ऐसा कहा गया है कि उसने अपना देश जिसका नाम कैलास है इक्वेडोर के पास आइलैंड खरीदकर बनाया है. कुछ लोग मानते हैं कि उसने ‘कैलाश’  नाम का देश त्रिनिदाद और टोबैगो के पास बनाया है.

फ़िलहाल मुद्दे की बात यह है कि किसी देश का निर्माण कैसे किया जाता है, इसके लिए किन-किन दस्तावेजों और औपचारिकताओं की जरूरत होती है? अक्सर हर देश में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कि वर्तमान शासन व्यवस्था या वर्तमान सरकार की नीतियों से सहमत नहीं होते हैं तो ऐसे लोग अक्सर नया देश बनाने की बात करते हैं. भारत में खालिस्तान की मांग भी काफी समय से हो रही है. देश बनाने का कोई परिभाषित फार्मूला नहीं होता है. कोई भी व्यक्ति या क्षेत्र अपने देश की घोषणा कर सकता है. लेकिन इस नए देश को मान्यता कौन देगा यह एक बड़ा प्रश्न है? अक्सर नए देशों को जल्दी मान्यता नहीं मिलती है. जैसे सोमालियालैंड जो कि सोमालिया का हिस्सा है वो अपने आप को वर्ष 1991 से अलग देश मान रहा है लेकिन किसी ने इसको मान्यता नहीं दी है. जबकि सर्बिया के अंदर ‘कोसोवो’ ने अपने आप को 2008 में आजाद देश घोषित कर दिया था और अब इसको कुछ देशों ने मान्यता भी दे दी है.  हालाँकि अभी इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने मान्यता नहीं दी है.

वर्तमान समय के राष्ट्रों के बनने का आधार 1933 के राज्यों के अधिकारों और कर्तव्यों पर कन्वेंशन से आता है, जिसे मोंटाविडियो कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है. यह कन्वेंशन 26 दिसम्बर 1933 को आयोजित हुआ था और 20 देशों ने हस्ताक्षर किये थे. इस कन्वेंशन में बताया गया है कि किसी राष्ट्र के होने के लिए कम से कम 4 बातें अवश्य हों एक परिभाषित सीमा, एक सरकार, स्थाई जनसंख्या और दूसरे राष्ट्रों से सम्बन्ध बनाने की क्षमता।

यदि किसी देश को संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता मिल जाती है तो किसी भी अन्य देश की ताकत नहीं है कि उसकी मान्यता को रद्द कर दे. वर्तमान में लगभग 193 देशों को ने मान्यता दी हुई है. यदि किसी देश को यूएनओ से मान्यता मिल जाती है तो उस नए देश के ऊपर, वह देश भी हमला नहीं कर सकता है जिससे वह अलग हुआ है क्योंकि यूएनओ की संयुक्त सेना सीधे दखल देने पहुँच जाती है. अगर किसी देश को यूएनओ से मान्यता मिल जाती है तो उसको विश्व बैंक, आईएमएफ जैसी संस्थाओं से ऋण और अन्य सुविधाएँ मिलने लगतीं है. साथ ही नए देश की करेंसी को मान्यता मिल जाती है और फिर उसके साथ व्यापार बढ़ने लगता है. अगर यूएनओ किसी देश को मान्यता नहीं देता है और बड़े राष्ट्र किसी देश को मान्यता दे देते हैं तो भी उस देश के साथ अन्य देशों के व्यापारिक सम्बन्ध बनने लगते हैं और फिर धीरे ध्रीरे उस देश को यूएनओ द्वारा भी मान्यता मिल ही जाती है.

अब आते हैं यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा पर। इस देश को बनाने वाले स्वामी नित्यानंद भारत के लिए भगोड़ा हैं। उनके ऊपर बलात्कार के केस दर्ज हैं। जानकारी के अनुसार, भारत छोड़ने के बाद, उन्होंने 2019  में इक्वाडोर के तट पर एक द्वीप पर ‘कैलासा’ की स्थापना की। देश का नाम हिमालय में भगवान शिव के निवास के नाम पर रखा गया है। कैलासा’ की वेबसाइट भी है, जिसमें यह जिक्र है कि विजयप्रिया नित्यानंद अपने देश की तरफ से संगठनों से समझौते करती हैं। 24 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में उन्होंने कई देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और अपने सोशल मीडिया हैंडल पर तस्वीरें शेयर कीं। कई अन्य तस्वीरों में विजयप्रिया को कुछ अधिकारियों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए दिखाया गया है। उनके अनुसार समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले लोग अमेरिकी थे। ‘कैलासा’ की वेबसाइट पर यह भी दावा किया गया है कि 150 देशों में उनके दूतावास और गैर-सरकारी संगठन हैं। पर इक्वाडोर ने उस समय इससे इनकार किया था कि नित्यानंद उनके देश में है। उनके उपदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर जारी किए जाते हैं। स्वयंभू धर्मगुरु 2019 के बाद से सार्वजनिक रूप से कभी दिखाई नहीं दिए हैं।

हाल ही में एक खबर आई कि यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलाशा ने संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिनिधित्व किया था। इस विषय पर यूएन की तरफ से भी सफाई आ चुकी है। अब इस मुद्दे पर नित्यानंद की प्रतिनिधि विजयप्रिया नित्यानंद( खुद को यूएसके का अंबेस्ड बताती हैं) ने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया है। विजयप्रिया ने कहा कि नित्यानंद परमशिवम को उनके जन्मस्थान से जबरन बाहर कर दिया गया और उसके कृत्य के पीछे कुछ हिंदू विरोधी लोग जिम्मेदार थे। उनका मुल्क भारत का आदर और सम्मान करता है।  संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी का कहना था कि वे काल्पनिक देश के प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए बयानों की अनदेखी करेंगे। यूएन ने उनके सबमिशन को अप्रासंगिक करार दिया। संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ‘कैलासा’ के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने दुनिया के साथ-साथ भारत को भी स्तब्ध कर दिया। भारत सरकार ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार समिति (CESCR) द्वारा आयोजित चर्चा के दौरान विजयप्रिया ने अपनी बात रखी और हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष के लिए सुरक्षा की मांग की। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए नित्यानंद का उत्पीड़न किया जा रहा है और उन्हें उनके जन्म के देश में प्रतिबंधित कर दिया गया है। साड़ी एवं पगड़ी पहने और गहनों से लदी इस महिला ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में संयुक्त राज्य कैलासा की स्थायी राजदूत के रूप में अपना परिचय दिया। उनके फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, वह वाशिंगटन में रहती हैं।  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपलोड की गई उनकी तस्वीरों में विजयप्रिया के दाहिने हाथ पर नित्यानंद का बड़ा टैटू देखा जा सकता है। विजयप्रिया के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने मैनिटोबा विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी ऑनर्स किया। वह जून 2014 में विश्वविद्यालय के डीन सम्मान सूची में शामिल थीं। लिंक्डइन प्रोफाइल में आगे उल्लेख है कि विजयप्रिया चार भाषाओं- अंग्रेजी, फ्रेंच, हिंदी और क्रियोल और पिजिन (फ्रेंच-आधारित) की जानकारी हैं।

संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि वे इस काल्पनिक देश के प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए बयानों की अनदेखी करेंगे। संयुक्त राष्ट्र का यह भी कहना है कि चर्चा किए जा रहे मुद्दों के बारे में उनके विचार अप्रासंगिक और सतही बताया।  संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ‘कैलासा’ के प्रतिनिधियों की उपस्थिति से विश्व के साथ-साथ भारत भी हैरान है। भारत सरकार ने अभी तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है।