Thursday, April 25, 2024
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विक्ट्री इन यूरोप दिवस के पूरे हुए 76 साल

नेहा राठौर, आज का दिन

आठ मई यह वह दिन है जब पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली थी। आज ही के दिन 1945 में छह सालों से चला आ रहा तबाही का दौर खत्म हुआ था, यानी द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने की घोषणा की गई थी। इस दिन जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर अपनी हार को स्वीकार किया था। इस दिन को पूरे यूरोप में विक्ट्री इन यूरोप दिवस के रूप में मनाया जाता है।

युद्ध की समाप्ति की घोषणा

जर्मनी के तानाशाह यानी हिटलर की क्रूरता से तो सभी वाकिफ होंगे। उसने 30 अप्रैल, 1945 को आत्महत्या कर ली थी, इसके बाद ही अनुमान लगा लिया गया था कि अब यह युद्ध ज्यादा लंबा नहीं चल पाएगा। बता दें कि हिटलर ने आत्महत्या इसी लिए की थी क्योंकि उसने धुरी देशों की सेना के सामने मंडराते हार के खतरे को भांप लिया था और कहीं ना कहीं वह इस बात से भी वाकिफ था कि गिरफ्तार किए जाने के बाद उसे किस तरह की सजा दी जाएगी।

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ऐसे में जैसे ही हिटलर ने आत्महत्या की, जर्मनी के राष्ट्र प्रमुख ग्रैंड एडमिरल डोनिट्ज़ ने एक हफ्ते के अंदर ही आत्म समर्पण की घोषणा कर दी। पहले तो उन्होंने सात मई को फ्रांस के राइम्स शहर में जनरल आइजनहाॅवर के मुख्यालय में जाकर समर्पण किया था। उसके बाद आठ मई को बर्लिन, ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और फ्रांस के सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण करने की घोषणा कर युद्ध समाप्त कर दिया। हालांकि उस वक्त युद्ध में जर्मनी के साथी रहे जापान ने युद्ध समाप्ति की घोषणा नहीं की थी, लेकिन जर्मनी की ओर से आत्म समर्पण के बाद ही द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत माना गया है।

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युद्ध से आजादी का जश्न

बता दें कि जिस वक्त यानी आठ मई को जब जर्मनी ने आत्म समर्पण की घोषणा की उस वक्त सोवियत संघ में नौ मई की शुरुआत हो चुकी थी, जिसके अनुसार सोवियत संघ समर्थक देशों में द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति का जश्न नौ मई को मनाया जाने लगा है।

यूरोप में पहले विश्वयुद्ध के मुकाबले द्वितीय विश्वयुद्ध में ज्यादा नरसंहार हुआ। लोखों लोगों के घर उजड़ गए। लाखों लोगों अपंग हो गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक तो युद्ध की समाप्ति के बाद देश की हालत इतनी दयनीय हो गई थी कि ना तो ठीक से कुछ खाने को खाना था और ना ही नहाने को पानी। ऐसे में लंदन में यह जश्न सड़कों पर मनाया गया। लोगों के इस जश्न में किंग जॉर्ज VI और ब्रिटेन की महारानी बकिंघम पैलेस भी शरीक हुई थीं।

जापान का आत्मसमर्पण

वहीं जापान की तरफ से इस युद्ध की समाप्ति अगस्त में की गई थी, जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया था। इस पूरे द्वितीय विश्वयुद्ध में कुल मिलाकर 5.5 करोड़ लोगों की जान गई थी जबकि 3.5 करोड़ लोगों जख्मी हो गए थे। वहीं तीस लाख लोगों का तो पता ही नहीं चला है कि वह भी या नहीं। 

एक शख्श की जिद ने इस दुनिया को युद्ध के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। जिसका नतीजा इतना भयावह होगा यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा। इस युद्ध में कई लोगों ने बड़े किरदार निभाए, जिसमें सबसे पहले नाम हिटलर का आता है। वहीं कुछ नाम उन जासूसों के भी शामिल है जिन्होंने अपने मुल्क को कब्जे से बचाने के लिए दुश्मन के घर जाकर उसकी खबर पहुंचाई, जिसमें सबसे बड़ा नाम नूर इनायत खान का आता है। जो फ्रांस की रहने वाली थीं, जिन्हें फ्रांस में जासूसी करते हुए 1944 में सूली पर चढ़ा दिया गया था।

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