अपनी पत्रिका ब्यूरो
नोएडा। सहारा मीडिया में जब जब सुब्रत रॉय के भाई जेबी रॉय बैठे हैं। तब तब अधिकारियों के बल्ले बल्ले हुई हुई है और काम करने वाले कर्मचारियों के साथ अन्याय हुआ है। आंदोलन के समय सहारा से पल्ला झाड़ने वाले जयब्रत रॉय ने फिर से सहारा मीडया में बैठना क्या शुरू किया कि फिर से अधिकारियों के मजे आ गए और काम करने वाले कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय। कहना गलत न होगा कि सहारा मीडिया में गत कई साल से जो कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा था, अब उसका दायरा बढ़ गया है। प्रबंधन गत कई महीने से कर्मचारियों के साथ घटियापन की पराकाष्ठा पर उतारू हो गया है।
दरअसल सहारा के कर्मचारियों को गत कई साल से मासिक वेतन भी समय पर नहीं मिल रही है। अब कुछ महीने से 25 हज़ार से ऊपर पचास या पैंसठ प्रतिशत वेतन दिया जा रहा वह भी समय पर नहीं दिया जा रहा है। अब प्रबंधन ने स्टाफ को दो भागों में बाँट दिया है । मैनेजमेंट के अधिकारियों, सिक्योरिटी गार्डों, चहेते डिविजनों जैसे मार्कौम के कुछ ख़ास कर्मचारी, जेबी रॉय के घर सैनिक फार्म के कर्मचारियों, ग्रेटर कैलाश स्थित सुब्रतो रॉय के ऑफिस के कर्मचारियों आदि कई जगह पर पूरा वेतन मिल 7 तारीख से पहले मिल जाता है। बाक़ी एसआईएमसी और एसआईटीवी के मीडियाकर्मियों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है । वह भी आधी-अधूरा वेतन। किसी महीने मिल भी सकती है और नहीं भी। तो 20 से 30 में मिल जाये। उकसा भी कोई भरोसा नहीं।
बात अधिकारियों की करें तो 2 से 15 लाख रुपए तक पाने वाले अधिकारी पूरा वेतन 7 तारीख़ को उठा रहे हैं। इन अधिकारियों में सीईओ सुमित राय, एडमिनिस्ट्रेटिव हेड रमेश अवस्थी, अकाउंट हेड संजीव गुप्ता, सुमित का पी ए जय कुमार, मार्कोम के नवीन प्रभाकर आदि कई अधिकारी हैं जो लाखों में अपनी पूरी तनख़्वाह उठा रहे हैं । सुनने में तो यहाँ तक आ रहा है कि ये लोग अपना बैकलॉग भी निकाल चुके हैं । कई अधिकारियों को पीछे से पैसा दिया जा रहा है जिससे वह लोग मीडिया का कार्य बिना रोक-टोक के कर्मचारियों से निकाल सकें और कर्मचारियों को पता भी ना चल सके। इनमें राष्ट्रीय सहारा व सहारा समय टीवी के संपादकीय विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं । जहां जरूरतमंद आम कार्यकर्ता को देने के लिए मैनेजमेंट के पास पैसे नहीं हैं वहीं खुद मलाई चाट रहे हैं।