अपनी पत्रिका ब्यूरो
नई दिल्ली। वैसे तो सहारा में सुब्रत रॉय ने घोटाले ही किये हैं पर पीएफ घोटाला जो हुआ है वह हर किसी को सोचने के लिए मजबूर कर रहा है। एसआईएमसी में 2012 से कर्मचारियों का पीएफ नहीं जमा किया गया है, जबकि वेतन से काटा लगातार जा रहा है। एसआइएमसी के अधिकारी नोएडा में बैठते हैं।
दरअसल यह जानकारी आरटीआई द्वारा सूचना मांगे जाने पर हुई है। एम्पलाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन ने इस घोटाले के में बताया है कि आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी में बताया गया है कि एसआईएमसी कंपनी को नोटिस जारी कर मामले के निस्तारण की बात कही है। जानकारी में कारण बताओ नोटिस जारी होने की बात भी सामने आई है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि कर्मचारियों के हित का दावा करने वाले पीएफ विभाग ने इस मामले में एक्शन क्यों नहीं लिया ? पीएफ में घोटाला करने वाले एसआइएमसी से जुड़े अधिकारियों पर एक्शन क्यों नहीं लिया गया ? या फिर जब 2012 से एसआइएमसी में पीएफ नहीं जमा किया गया और कर्मचारियों का पैसा सैलरी से काटा जाता रहा तो तो ईपीएफ विभाग क्या कर रहा था ?
दरअसल एसआईएसमी में पीएफ जमा न होने से कम्पनी के कितने रिटायर्ड हो छुए कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल रही है। न ही किसी कर्मचारी को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रधानमंत्री मोदी जो भ्र्ष्टाचारियों पर कार्रवाई की गारंटी की बात कर रहे हों तो सुब्रत रॉय से बड़ा भ्र्ष्टाचारी कौन है ?कर्मचारियों का पीएफ कहां गया ? निवेशकों का भुगतान कहां गया ? कोई बताने को तैयार नहीं।
इसी बीच एक दर्दनाक बात यह भी कि एसआइएमसी में काम करने वाले अम्लाव सिन्हा की कोरोना महामारी में मौत होने के बाद उनकी बेवा सहारा के ऑफिस के चक्कर काटते काटते थक गई है पर उनका हिसाब सहारा प्रबंधन देने को तैयार नहीं है। उन्होंने मीडिया हेड सुमित रॉय को भी एक पत्र लिखा है कुछ नहीं हुआ। ऐसे में एसआइएमसी से जुड़े कर्मचारियों में गुस्सा देखने को मिल रहा है।