देश

कोरोना काल में गणतंत्र दिवस की गरिमा पर आंच नहीं आए

By अपनी पत्रिका

January 08, 2021

संपादकीय/राजेंद्र स्वामी

भारत में पहली बार ऐसा होगा जब राष्ट्रीय महापर्व गणतंत्र दिवस की धूमधाम में कमी देखी जा सकती है। हो सकता है इसमें पहले जैसी गहमा-गहमी और रौनक नहीं हो। परेडो पर महामारी  का असर दिखे। वैसे राजधानी के राजपथ पर आयोजित होने वाले भव्य समारोह के आयोजन की तैयारियां पहले की तरह चल रही हैं। कोविड-19 से उपजी कई समस्याओं और दुश्चिंताओं के बीच देश में 72वां गणतंत्र दिवस मनाया जाना है।

किसी विदेशी मेहमान को मुख्य अतिथि के तौर आमंत्रित करने की परंपरा का निर्वाह करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बेरिस जाॅनसन को आमंत्रित किया गया था। यह अलग बात है कि उन्होंने कोरोना के नए स्ट्रेन की वजह से फरवरी तक हुए लाॅकडाउन के कारण गणतंत्र दिवस में आने से इनकार कर दिया है। बोरिस जाॅनसन ने  यह कहते हुए क्षमा मांग ली कि अपने देश में महामारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए इस भूमिका वे नहीं निभा पाएंगे। ऐसे में शायद यह पहली बार ही होगा कि गणतंत्र दिवस समारोह में कोई विदेशी शासनाध्यक्ष अतिथि के रूप में नहीं शामिल हो।

भारतीय गणतंत्र की गरिमा के निर्वाह में एक और बड़े संकट की आशंका राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के धरने से भी जुड़ी है। आंदोलनकारी किसानों ने गणतंत्र दिवस के दिन हजारों ट्रैक्टरों की रैली निकालने की चेतावनी दी है। इसके लिए वे दिल्ली से बहार बोर्डर के पास रिहर्सल भी कर चुके हैं। इस मामले में हालात जल्दी सामान्य नहीं बनाए गए, तो गणतंत्र दिवस की गरिमा पर आंच लगाने जैसी अप्रियता देखने को मिल सकती है।  

ये भी पढ़ें – मधु लिमये: जिन्होंने सबको संसद में बोलना सिखाया

वैसे भी इस समारोह की पारंपरिक भव्यता इस बार देखने को नहीं मिलेगी। समारोह स्थल पर 25 हजार से ज्यादा दर्शकों की इजाजत नहीं देने का फैसला पहले ही किया जा चुका है। परेड में शामिल फौजी दस्तों और झांकियों की संख्या कम होगी और परेड लाल किले तक जाने के बजाय नेशनल स्टेडियम पर, यानी लगभग आधी दूरी में ही समाप्त कर दी जाएगी।

मगर गणतंत्र दिवस समारोह की अहमियत वहां मौजूद दर्शकों और परेड की भव्यता से ज्यादा उस भाव से जुड़ी है जो हर देशवासी के मन में इस समारोह के प्रति बना रहता है। लिहाजा गौर से देखें तो इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह का सबसे बड़े संकट की आशंका राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के धरने को लेकर भी है। इस मामले में हालात जल्दी सामान्य नहीं बनाए गए तो कुछ ऐसे अप्रिय प्रसंग देखने को मिल सकते हैं, जिनसे गणतंत्र दिवस की गरिमा को ठेस लग सकती है।  

नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान लिखे जाने तक पिछले पौन महीने से बोर्डर पर खुले में कड़के की सर्दी और बेमौसम बारिश की मार को झेल रहे हैं। सरकार के साथ उनके सात दौर की बातचीत  नाकाम होने के बाद उन्होंने बयान जारी किया था कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में प्रवेश करके अपनी ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। उनकी संख्या हजारों में हो सकती है। इसका उन्होंने बोर्डर पर रिहर्सल भी किया।

ये भी पढ़ें – फ्रेंडशिप डे की तरह है आर्गनाइल डे (8 जनवरी)

माना कि उन्हें रोकने के लिए सरकार की ताकत कम नहीं पड़ेगी। फिर भी उन्हें राजधानी के संवेदनशील इलाकों में घुसने से रोकने के क्रम में अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं। साथ ही इसका संदेश राष्ट्रीय गौरव को क्षति पहुंचाने के लिए काफी होगा। इस अवसर पर बल प्रयोग की कोई भी घटना देश के सिर नीचा कर देगी। इसलिए समय रहते किसान आंदोलनकारी और सियासतदां की तरफ समाधान निकाला जाना चाहिए।

टीस देने वाला सवाल यह है कि तीनों कृषि कानूनों की ड्राफ्टिंग से लेकर उन्हें संसद में पारित कराने तक किसानों और जन प्रतिनिधियों के साथ कोई संवाद क्यों नहीं कायम किया गया? इसपर अगर पहले  संवाद कायम किया जाता और संसद में बहस से पहले किसानों की चैपालों तक में चर्चा होती तब शायद मौजूदा आंदोलन की नींव नहीं पड़ती। सरकार की नजर में नए कानून को लेकर किसान आशंकित हैं, जबकि उनके भले के लिए कानून बनाए गए हैं। यह बात पहले ही समझानी चाहिए थी।

अब किसानों के नजरिए  की बात करें तो पाएंगे कि कानून आने के तुरंत बाद पंजाब में किसान इसके खिलाफ आंदोलन पर उतर आए। इसका असर देखे बगैर तुरंत नतीजे की आशंका से घिर गए। केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें भरोसे में लेने की कोई पहल नहीं की जा सकी। कभी रेल की पटरियों पर आंदोलन करने वाले आंदोलित किसानों का  जमावड़ा केंद्र सरकार के बैरिकेडों को नहीं लांघ पाया। वे दिल्ली बाॅर्डर पर डट गए। हालांकि उनका आंदोलना देशव्यापी नहीं बन पाया है। उनमें ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के ही किसान हैं। जितनी जल्द हो सरकार और किसानों के बीच पनपे अविश्वास को खत्म किया जाना चाहिए। 

देश और दुनिया की तमाम ख़बरों के लिए हमारा यूट्यूब चैनल  अपनी पत्रिका टीवी  (APTV Bharat) सब्सक्राइब करे।

आप हमें Twitter , Facebook , और Instagram पर भी फॉलो कर सकते है।