Saturday, April 20, 2024
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आंदोलन संक्रमित दिल्ली

शंभु सुमन

नई दिल्ली। एक तरफ राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, तो दूसरी ओर धरना, प्रदर्शन, उपवास, मार्च और आंदोलनों का दौर विगत एक माह से काफी तीव्र हो चुका है। लगता है जैसे दिल्ली आंदोलन संक्रमित हो गई है। दिल्ली के तीन बोर्डर पर किसान कड़ाके की ठंड में नए कृषि कानून बदलवाने को लेकर हजारों की संख्या में डटे हुए हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री केजरीवाल आवास के सामने दिल्ली के तीन नगर निगमों के मेयर 7 दिसंबर से ही दर्जनों पार्षदों समेत अपनी इकलौती मांग को मानवाने के लिए धरने पर बैठ गए थे। पार्षद बीमार हो गए , लेकिन वे तबतक डटे रहने की जिद पर अड़े रहे, जबतक कि दिल्ली सरकार से लंबित फंड 13000 करोड़ रुपये मिल नहीं जाते। हालांकि बाद में हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक उन्हें वहां से हटना पड़ा।

सीएम आवास के बाहर एमसीडी मेयरों का अनशन 13 दिनों से जारी प्रदर्शन

विरोध-प्रदर्शन करने वालों में दिल्ली नगर निगम के सभी चतुर्थ और तृतिय श्रेणी के कर्मचारी, उनसे जुड़े कांट्रेक्ट पर काम करने वाले निजी क्षेत्र के कर्मचारी और आम नागरिक भी शामिल हैं। यहां तक कि विधायक, पार्षद और स्थानीय नेता भी इसमेें कूद पड़े हैं। निगम के कर्मचारियों में सबसे बुरा हाल सफाईकर्मियों का है, जिन्हें पिछले छह माह से वेतन नहीं मिला है। वे आए दिन निगम मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर वेतन की मांग करते रहे हैं। उनका यह सिलसिला अनलाॅक-एक के बाद से ही जारी है। ऐसा ही हाल निगम के शिक्षकों और निगम संचालित अस्पतालों के डाक्टर, नर्स एवं दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों का भी है। वे कई बार काम रोककर अस्पताल परिसर से लेकर जंतर-मंतर पर भी वकाये वेतन की गुहार लगा चुके हैं।

महीनों से बकाये वेतन की मांग, एमसीडी कर्मचारियों का प्रदर्शन

दिल्ली नगर निगमों में बकाया राशि को लेकर भाजपा शासित एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच जंग छिड़ी हुई है। दिल्ली तीन निगमों के मेयर, पार्षद और पार्टी के अन्य नेता निगम के विभिन्न निकायों की बकाया राशि के मुद्दे को लेकर, आम आदमी पार्टी (आप) के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित कार्यालय के पास 22 दिसंबर को सत्याग्रह पर बैठ गए। भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने धरना प्रदर्शन स्थल पर अरविंद केजरीवाल सरकार पर नगर निगमों के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी के निर्वहन नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार 13,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि जारी नहीं कर विकास कार्यों को बाधित करने पर तुली हुई है। धरना प्रदर्शन में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, उत्तरी दिल्ली के महापौर जयप्रकाश तथा भाजपा के अन्य नेता शामिल हुए। तीनों मेयर और अन्य भाजपा पार्षदों ने मुख्यमंत्री के आवास के बाहर 13दिन तक प्रदर्शन किया था, जिसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया।

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इससे पहले आम आदमी पार्टी भी भाजपा शासित नगर निगमों पर भ्रष्टाचार और अक्षमता का आरोप लगा चुकी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी हाल ही में दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान कहा था कि निकायों को पूरी बकाया राशि का भुगतान किया जा चुका है। इसके अतिरक्ति आप ने भाजपा पर ही 2500 करोड़ रुपये घेटाले का आरोप लगा दिया, जिसे केजरीवाल ने विधानसभा में कहा कि यह घोटाल काॅमनवेल्थ गेम घोटाले से भी बड़ा है। इस आरोप को लेकर आप के सभी विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एलजी अनील बैजल के आवास पर भी विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की थी। जिसकी दिल्ली पुलिस से अनुमति नहीं मिली थी और उन्हें प्रदर्शन के लिए अपने-अपने घरों से निकलने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया।

इस दौरान कुछ विधायक घरों में ही नजरबंद कर लिए गए। इसके एक दिन पहले भाजपा के पार्षदों ने दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में आप विधायकों के खिलाफ प्रदर्शन कर चुकी थी। आप की तरफ से भी पूरी दिल्ली में 2500 करोड़ रुपये घोटाले के पोस्टर-बैनर लगा दिए गए। यह एक तरह से भाजपा द्वार लगाए गए 13000 करोड़ रुपये के बैनर, वालपेंटिंग और पोस्टर का जवाबी हमला था।

घोटाले के आरोपा के संदर्भ में भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने विभिन्न प्रमुख अखबारों में एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर स्पष्टिकरण दिया। नोटिस में कहा गया है कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के लिए 2,457 करोड़ रुपये माफ करने संबंधी आरोप गलत और आधारहीन है। यानि कि दिल्ली में बकाया फंड बनाम घोटाले को लेकर आप और भाजपा के बीच जारी लड़ाई में निगम कर्मियों समेत आम नागरिकों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। न तो

सफाईकर्मी, नर्स, डाक्टर और दूसरे कर्मचारी की बाकी वेतन मिल पाया है और न ही महानगर में सफाई व्यवस्था में सुधार आया है। कई कालोनियांे में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। निगम के दूसरे कर्मचारी अनमने ढंगे से ड्यूटी कर रहे हैं, या फिर निगम के नियमों को ताक पर रखकर रिश्वत लेकर अतिरिक्त आमदनी कर रहे हैं।

जहां तक बकाये फंड की रकम का सवाल है, तो इसपर आप का कहना है भाजपा शासित एमसीडी ने कभी कोर्ट में दिल्ली सरकार से 13 हजार करोड़ दिलाने की मांग नहीं रखी। आप के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक और नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल भाजपा पर 13 हजार करोड़ रुपये को लेकर सिर्फ गंदी राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। पाठक ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी ने कभी भी कोर्ट में दिल्ली सरकार से 13 हजार करोड़ रुपये दिलाने की मांग नहीं रखी है। उन्होंने कहा कि अपनी वेतन की मांग को लेकर भाजपा शासित एमसीडी के डॉक्टर, नर्स, शिक्षक और अन्य कर्मचारी जो 5 महीने से हड़ताल पर रहे है। उनमें से कईयों ने विरोध प्रदर्शन किए, तो कई कर्मचारी भूख हड़ताल भी की। एक तरफ, वे लोग सड़क पर उतर कर पुलिस की लाठियां खाई है, तो दूसरी तरफ भाजपा शासित एमसीडी आप और दिल्ली सरकार को बदनाम करने की कोशिश करती रही है।

नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने साफ तौर पर कहा कि जब भाजपा शासित एमसीडी इसमें पूरी तरह से विफल साबित हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा शासित एमसीडी जानबूझकर वेतन की समस्या को खड़ा कर रही है। पिछले कुछ महीनों से उन्होंने दोबारा कर्मचारियों को वेतन देना बंद कर दिया है। पाठक ने कोर्ट की कार्यवाही के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमारे पास 5 नवंबर और 16 नवंबर का अदालत का आदेश है। इस पूरी सुनवाई में भाजपा के नेता और एमसीडी के वकील ने एक बार भी नहीं कहा है कि दिल्ली सरकार पर उनका कोई पैसा बकाया है। उन्होंने यह भी बताया कि 31 दिसंबर तक के सारे पैसे दिल्ली सरकार ने एमसीडी को दे दिए हैं और इसके लिए हम ने अदालत में लिखित रूप में एफिडेविड जमा कराया है। न तो भाजपा के नेता कोर्ट में यह कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार पर उनके पैसे बाकी हैं और न ही अदालत के आदेश में इसका कहीं जिक्र है। पिछले 15 सालों में इन्होंने जो एमसीडी को बर्बाद किया है, उससे बचने और ध्यान भटकाने के लिए इन्होंने यह तरीका निकाला है।

बोर्डर पर किसानों का जमावड़ा

किसान आंदोलनः दिल्ली के सिंघु और टिकरी बोर्डर पर केंद्र सरकार से अपनी मांगों को लेकर अडिग हजारों किसानों को आप का समर्थन है। इसका सबूत मुख्यमंत्री विधानसभा के विशष सत्र में नए कृषि बिल की प्रतियां फाड़कर दे चुके हैं। किसान के आंदोलन का असर दिल्लीवासियों पर पड़ रहा है। शहर में जाम की समस्या पैदा हो गई है और एनसीआर से दिल्ली आने और दिल्ली से एनसीआर के कार्यालयों में काम के लिए आना-जाना मुश्किल हो गया है। दिल्ली मेट्रो का संचालन सिर्फ दिल्ली में ही हो रहा है। श्रमिकों को आने-जाने में दिक्कतें आ रही है, जिसका असर उद्योग की उत्पादकता पर भी पड़ रहा है। जरूरी सामानों की आपूर्ति भी बधित हो गई है।

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