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मोदी ने बिहार के लोगों से जातिवाद त्यागने की अपील की

By अपनी पत्रिका

May 22, 2015

नई दिल्ली  विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के मतदाताओं तक पहुंच बनाने की पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्य के लोगों से जातपात से ऊपर उठने और सबसे बेहतर को समर्थन देने की अपील की। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कुछ कृतियों के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बिहार को प्रगति और समृद्धि की सोच के साथ आगे ले जाने को प्रतिबद्ध हैं और इस राज्य की प्रगति के बिना भारत का विकास अधूरा है।

मोदी ने कहा कि एक तरफ जहां भारत का पश्चिमी भाग में समृद्ध है, वहीं पूर्वी भारत ज्ञान से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश के विकास में दोनों क्षेत्रों की समान हिस्सेदारी होनी चाहिए। दिनकरजी द्वारा 1961 में लिखे एक पत्र का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रकवि का यह मत था कि बिहार को जातपात को भूलना और सबसे अच्छे पथ का अनुसरण करना होगा। मोदी ने पत्र का जिक्र करते हुए कहा, ”आप एक या दो जातियों के सहारे शासन नहीं कर सकते.. अगर आप जातपात से ऊपर नहीं उठेंगे, तब बिहार का सामाजिक विकास प्रभावित होगा।’’

मोदी ने कहा, मैं सरस्वती का पुजारी हूं और एक पुजारी होने के नाते शब्द के सामर्थ्य का मुझे अनुभव है। एक शब्द से किसी विषय का अर्थ कैसे बदल जाता है, एक पुजारी और एक पाठक होने के नाते मुझे मालूम है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां शब्द को ब्रह्म माना गया है। दिनकरजी की रचनाएं 50 साल बाद भी जीवंत हैं। 50 साल बाद भी उनकी रचनाएं हमारे लिए प्रेरणा का माध्यम बनी हुई हैं। 50 साल बाद भी ये रचनाएं युवाओं को उस नजरिये से देखने को मजबूर करती हैं। इसलिए ऐसी रचनाएं सम्मान पाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिनकरजी की कृतियां समाज के लिए एक सौगात है। इस सौगात को नयी पीढ़ी तक कैसे पहुंचाएं, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।