भले ही आज मीडिया सरकार का भोंपू बना हुआ हो फिर भी सरकार को संतोष नहीं है। जी हां उत्तर प्रदेश सरकार मामला और टाइट करने जा रही है।
खबर आ रही है कि बिना पुष्टि के तोड़ मरोड़ कर गलत तथ्यों पर नकारात्क की तो ज़िलाधिकारी मीडिया संस्थान को पत्र भेज कर स्पष्टीकरण मांग सकता है। मतलब अब मीडिया संस्थाओं की यह औकात रह गई। कौन है इसका जिम्मेदार ? ये बड़के पत्रकार।
बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार 2024 चुनाव से पहले उन यूट्यूब चैनलों और न्यूज़ पोर्टलों पर लगाम कसना चाहती है जो बिना सही तथ्यों के खबरों को दूसरा एंगल दे कर अपने व्यूज बढ़ाने के लिए खबर चलाते हैं।
वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि ये नई व्यवस्था मीडिया को दबाव में रखने के लिए है ताकि स्वस्थ आलोचना करने वालों को भी प्रशासनिक कार्रवाई से डराया जा सके।