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भगवा रंग में रंगा विधान सभा चुनाव

By अपनी पत्रिका

March 20, 2017

पत्रिका ब्यूरो दिल्ली/ वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए विधान सभा चुनाव के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में शानदार जीत दर्ज की, जबकि पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तथा गोवा में कांग्रेस ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन और उत्तराखंड में कांग्रेस को पटकनी देकर भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की। वहीं पंजाब में भारतीय जनता पार्टी-अकाली दल गठबंधन को पटकनी देकर कांग्रेस ने सत्ता पर धाक जमाया। जहां गोवा में दूसरे स्थान पर रही भारतीय जनता पार्टी को अपनी सरकार बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी, वहीं मणिपुर में दूसरे स्थान पर रही भारतीय जनता पार्टी की मजबूत दावेदारी से कांग्रेस सकते में आ गया है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टिकोण से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को राजनीतिक केंद्र के रुप में माना जाता है। एक कहावत है यहां की राजनीति चाय और परचुन की दुकान पर होती है । इस प्रदेश में कई वर्षों से समाजवादी पार्टी का शासन चल रहा था। यहां के समाजवादी पार्टी के पूर्व मुखिया (मुलायम सिंह यादव) ने नव जवानों को आकर्षित करने एवं उनका विश्वास जीतने के लिए पुत्र अखिलेश यादव को प्रदेश की बागडोर सौंप कर निश्चिंत हो गये कि चलो अब तो यह प्रदेश अपना बना ही रहेगा। लेकिन कहा जाता है कि राजनीति में सब कुछ नीतिगत ही होता है और वही हुआ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पिता मुलायम सिंह को पार्टी में गौण कर खुद सिरमौर्य धारण कर लिया । वहीं पार्टी के कई दिग्गज एवं विश्वस्त नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इतना ही नहीं अखिलेश ने विरोधी दलों को पटकनी देने के लिए डंके की चोट पर राहुल गांधी अधिकृत कांग्रेस के साथ हाथ भी मिलाया और चुनाव लड़ा। देश की निगाहें राहुल-अखिलेश की इस अप्रत्याशित जोड़ी की ओर थी। लोगों को उम्मीद थी कि यह नव जवानों का गठजोड़ कुछ नया करके दिखाएगी। लेकिन चुनाव परिणाम ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी – 312, समाजवादी-कांग्रेस गठबंधन- 47, बहुजन समाज पार्टी -19 सीटों पर जीत दर्ज की । जबकि वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी -224, बहुजन समाज पार्टी -80 एवं भारतीय जनता पार्टी – 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की इस अप्रत्याशित जीत की उम्मीद किसी ने भी नहीं की होगी। आंकड़ों के दृष्टिकोण से देखा जाय तो वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी – 29.15, बहुजन समाज पार्टी – 25.91 एवं भारतीय जनता पार्टी -15 फीसद वोट मिले थे। वहीं वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी -39.7 , समाजवादी-कांग्रेस गठबंधन – 21.08, बहुजन समाज पार्टी एवं अन्य – 22.2 फीसद वोट मिले । इस प्रकार से देखा जाय जो भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश की मतदाताओं का विश्वास बढा है । वहीं समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी आदि में मतदाताओं का विश्वास घटा है। उत्तराखंड उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से काफी राजनीतिक उठा-पटक चल रही थी। कांग्रेस शासित प्रदेश की बागडोर मुख्यमंत्री हरीश रावत के हाथों में थी। लेकिन पार्टी में अंदरखाने की खींचतान से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता व्याप्त थी। वर्ष 2017 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव पर भी इसका साफ असर दिखाई पड़ा और नतीजा भारतीय जनता पार्टी की सरकार के रुप में आई। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की कुल 70 विधानसभा सीटों में से 51 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं सत्तासीन पार्टी कांग्रेस को मात्र 11 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस प्रकार राज्य में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हुई। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी – 33.79 फीसद और भारतीय जनता पार्टी – 33.13 फीसद वोट मिले थे। वहीं 2012 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 32 और भारतीय जनता पार्टी को 31 सीटें हासिल हुईं थीं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी – 46.5 फीसद और कांग्रेस -33.5 फीसद वोट मिले हैं। इस प्रकार से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी पर प्रदेश की मतदाताओं का विश्वास बढा है, जबकि कांग्रेस पर से मतदाताओं का विश्वास घटा है। गोवा अपने प्राकृतिक सौंदर्यता और पर्यटन के लिए गोवा खास तौर पर जाना जाता है। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस -17, भारतीय जनता पार्टी- 13 एवं अन्य-3 सीटों पर जीत हालिस की । इस चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश में सरकार बनाने के लिए राजनीतिक संकट उभरने लगा क्योंकि किसी भी दल के पास पूर्ण बहुमत नहीं थी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की राजनीतिक संकट को दूर करते हुए अपनी सरकार बनाया। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाय तो वर्ष 2012 में गोवा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी- 21 और कांग्रेस – 9 सीटों पर दर्ज किये थे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी -34.68 और कांग्रेस – 30.78 फीसद वोट हासिल किये थे। वहीं वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी – 32.5, कांग्रेस -28.4 फीसद वोट मिले। वर्ष 2017 के चुनाव परिणाम को 2012 के विधानसभा चुनाव परिणाम के साथ मिलाकर देखें तो स्पष्ट हो रहा है कि प्रदेश की जनता का विश्वास भारतीय जनता पार्टी पर से घटा है, वहीं प्रदेश की जनता का रुझान कांग्रेस की ओर बढा है । मणिपुर पूर्वोत्तर के राज्यों में मणिपुर राजनीतिक दृष्टिकोण से खास महत्व रखता है। वर्ष 2017 में मणिपुर विधानसभा के कुल 60 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी – 28, भारतीय जनता पार्टी-21, अन्य -11 जीत दर्ज किये हैं । इस राज्य में हुए चुनाव में बीजेपी वोट फीसद की दृष्टिकोण से सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। यहां बीजेपी को 36.3 प्रतिशत वोट मिले हैं। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस का वोट फीसद घटा है। आंकड़ों पर यदि ध्यान दिया जाय तो वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस – 42 सीट, 42.4 फीसद वोट जबकि भारतीय जनता पार्टी का खाता भी नहीं खुला था और मात्र 2 फीसद वोट ही मिले थे। वहीं वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस – 35.1 और भारतीय जनता पार्टी- 36.3 फीसद वोट हासिल कर पाए हैं। पंजाब वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पंजाब में जहां भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा है वहीं कांग्रेस मतदाताओं का विश्वास जीतने में कामयाब रही है। विधान सभा की कुल 117 सीटों में से कांग्रेस – 77, आम आदमी पार्टी – 20, अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन -15 सीट पर जीत दर्ज की है। प्रदेश की राजनीति में नई पार्टी के तौर पर आम आदमी पार्टी ने मजबूत दस्तक दी है। आंकड़ों के दृष्टिकोण से देखा जाये तो वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी-अकाली दल – 56 सीट, 34.59 फीसद वोट, कांग्रेस – 46 सीट, 39.92 फीसद वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। वहीं वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस -38.5, आम आदमी पार्टी -23.7 और बीजेपी-अकाली दल – 25.2 फीसद वोट हासिल करने में कामयाब रहे हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में 2017 में हुए विधान सभा चुनाव का परिणाम सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम हैं। इस चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया है कि जनता अब किसी भी राजनीतिक दल, व्यक्ति या लोभ में पड़ने वाले नहीं हैं। देश की जनता किसी भी एक पार्टी या व्यक्ति को सर्वोपरि नहीं मानता। मतदाता अब इन बातों पर ध्यान देते हैं कि कोई भी नेता या पार्टी देश एवं जनता के विकास की पहलुओं पर कितने ध्यान दे रहे हैं एवं गंभीरता से ले रहे हैं।। इन राज्यों में हुए चुनाव में एक बात जो साफ़ नज़र आ रही है वह यह है कि लोग कार्य एवं विकास को प्राथमिकता देते हैं। किसी जाति, संबंधी या उकसावे को नहीं। यदि ऐसा नहीं होता तो सभी राज्यों में किसी एक ही पार्टी की जीत और सरकार होती। जहां राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश, कांग्रेस शासित उत्तराखंड में जीत दर्ज करती है। वहीं भारतीय जनता पार्टी-अकाली दल शासित प्रदेश पंजाब में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़े दल के रुप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है और जनता का विश्वास जीतने में कामयाब होती है और इसी राज्य में नई पार्टी के रूप में आये आम आदमी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरकर आती है। भारतीय जनता पार्टी शासित गोवा राज्य में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उपस्थिति दर्ज कराती है, तो वहीं कांग्रेस शासित प्रदेश मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी दूसरी प्रमुख पार्टी के रूप में अपनी दावेदारी पेश करती है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है, ‘यह जनता है सब जानती है, जब जिसे, जैसे, जहां चाहा फेंकती है और किसी को गले लगाती है।’