आज का दिन

1964 : कोलकाता में दंगे

By अपनी पत्रिका

January 13, 2021

नेहा राठौर (13 जनवरी)

आज का दिन 13 जनवरी को इतिहास के पन्नों में खुन से लिखा गया है। भारत की आजादी से पहले कई भारत ने कई दंगों का सामना किया, कई लड़ाई-झगड़े देखे थे। 1947 में भारत को आजादी तो मिली लेकिन दो हिस्सों में। आजादी से पहले भारत ने जो मंजर देखा था। उसके बाद आजादी बेरंग सी दिख रही थी। आज से करीब 57 साल पहले यानी 1964 में पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हिंदु मुस्लिम के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें करीब 100 लोग मारे गए थे और 400 लोग घायल हुए थे।

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दंगों का कारण

इन दंगों के पिछे का कारण यह था कि भारत-प्रशासित कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में एक मस्जिद से पैगंबर महुम्मद की एक जरूरी चीज गायब हो गई थी, जिसके बाद हिंदु मुसलमान में दंगे भड़कने लगे। सबसे पहले ये दंगे पूर्वी पाकिस्तान आज के बांगलादेश से शुरू हुए, जहां 29 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया। उसी का बदला लेने के लिए भारत में भी दंगे और तीव्र हो गए और इसी बीच कोलकाता और इसके आसपास के कई जिले दंगे की चपेट में आ गए।

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इन दंगों में सबसे ज्यादा मौते मुसलमानों की हुई। शहर के पांच थाना क्षेत्रों में मुसलमानों के घरों को आग लगाने और लूट-पाट की घटना के बाद प्रशासन ने वहाँ 24 घंटे का कर्फ़्यू लगाने का फ़ैसला किया था। पुलिस और सैन्य बलों को बलवाइयों और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए थे। छुरेबाज़ी और बम फेंकने की कई घटनाएं हुईं थी लेकिन दंगों में ज़्यादातर मुसलमानों की संपत्ति को नुक़सान पहुंचा था। लगभग 70 हज़ार मुसलमान अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए थे और लगभग 55 हज़ार लोग सेना की सुरक्षा में शिविरों में सो रहे थे। आखिरकार जनवरी तक दंगों पर काबू पा लिया गया। लेकिन दंगों का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ। उसी साल मार्च में ये दंगे एक बार फिर हुए।

1964 के बाद..

भारत के आजाद होने के बाद सब कुछ बदल गया, यहां की राजनीति, अंग्रेजी शासन सब कुछ लेकिन कुछ नहीं बदला तो हिंदु मुस्लिम के बीच के झगड़े। 1964 के बाद 1969 में अहमदाबाद दंगे, 1984 को सिख दंगे, 1987 में मेरुत दंगे, 1989 में भागलपुर दंगे अयोध्या मामले, 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद दंगे और 2019-2020 में CAA कानून को लेकर हुए दंगे। 

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