सड़क पर देश का अन्नदाता

संतोष सिंह

हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के अग्रदूत चौधरीचरण सिंह ने कभी कहा था-

“किसानों को अपनी एक नजर खेत पर और दूसरी दिल्ली पर रखनी चाहिये। खेत से नजर हटी तो फसल बर्बाद और दिल्ली ले नजर हटी तो नस्ल बर्बाद।’’

 जी हॉ, चौधरीचरण सिंह का उपर्युक्त कथन आज अक्षरत: सत्य साबित हो रहा है। 

किसान कानून बना काला कानून

23 दिसम्बर को पूरा देश जहॉं किसान दिवस मना रहा था, वहीं दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा के किसानों की अगुआई में देश के किसान दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में किसानों के लिये तीन किसान कानून पास किया था, इन्हीं तीनों कानूनें के विरोध में किसान दिल्ली आकर अपना विरोध जताना चाहते थे, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों को दिल्ली में आने से रोक दिया। केंद्र सरकार के इस व्यवहार से आक्रोशित होकर किसान दिल्ली के  विभिन्न बार्डरों पर ही  धरने –प्रदर्शन पर बैठ गये। किसान किसी भी कीमत पर इन तीनों किसान कानूनों को स्वीकार करने के मूड में नहीं है। इतना ही नहीं, किसान हर हाल में इन कानूनों की वापसी चाहता है। ऐसा ना होने की स्थिति में किसान यहां मरने तक को तैयार है।

उद्योगपतियों के साथ मोदी सरकार

सिंघू बार्डर, जहॉ हजारों की संख्या में किसान केंद्र सरकार के तीनों किसान कानूनों का विरोध कर रहे है। किसानों का मानना है कि ये तीनों किसान कानून ना होकर काला कानून है। धरना -प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना था कि केंद्र की मोदी सरकार गरीब किसानों के साथ नहीं बल्कि अबांनी –अडानी के चरणों में बिछी सरकार है। किसानों का मानना है कि गरीब, मजदूर और किसान की बात करके मोदी सरकार सत्ता में आई,लेकिन सत्ता में आते ही अबांनी –अडानी के हाथों बिक गई। किसानों का साफ-साफ कहना है कि मोदी सरकार उद्योगपतियों खासकर अबांनी –अडानी के हाथों बिक चुकी है। किसानों का आरोप है कि तीनों किसान कानून अबांनी –अडानी को लाभ देने के मकसद से ही बनाया गया है। किसानों का दर्द उनकी आखों में साफ देखा जा सकता है। किसानों का कहना है कि इस किसान बिल की वापसी के लिये हम किसी भी हद से गुजरने को तैयार है। किसान बड़े ही तल्ख अंदाज में कहता है कि सरकार चाहे तो हमें गोली मार दे,लेकिन काला कानून की वापसी के बगैर हम घर नहीं जायेंगे।

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सड़क पर लंगर की व्यवस्था

मोदी सरकार के तीनों किसान कानून के विरोध में बार्डर पर धरना -प्रदर्शन कर रहे किसानों के खान-पान के लिये लंगर की व्यवस्था है। जहॉ सभी के लिये खाने-पीने की व्यवस्था है। लंगर व्यवस्था के लिये फंड के सवाल पर किसानों का कहना है कि उन्हें कोई फंडिंग नहीं हो रही। आस-पास के स्थानीय लोग दिल खोलकर हमारी मदद कर रहे हैं। दूर-दराज से आये विभिन्न गुरुद्वारा कमेटियों के सहयोग से हमारा लंगर दिन-रात चल रहा है। लंगर की व्यवस्था में लगे सेवादारों ने बताया कि मानदता की सेवा ही हमारा परम कर्तब्य है।हम यहॉ यहीं कर रहे हैं। लंगर की व्यवस्था में लगे सेवादारों ने बताया कि सिक्ख धर्म में लंगर की सेवा सदियों से है। उसी सेवा भाव से हम यहां आने वाले हर शक्स की सेवा नि: स्वार्थ कर रहे हैं। सेवादारों ने बताया कि लंगर सभी धर्मो के लोगों के लिये खुला होता है। यहां हम मानदता की सेवा कर रहते हैं।

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प्रदर्शनकारियों के लिए मेडिकल कैंप

मोदी सरकार के तीनों किसान कानून के खिलाफ धरना -प्रदर्शन कर रहे किसानों के स्वास्थ्य के लिये सिंघू बार्डर पर मेडिकल कैंम्प भी लगा हुआ है, जहां कोई ही अपना इलाज मुफ्त में करा सकता है। जांच,दवाईयां सभी मुफ्त सेवा में है।सेवा में लगे मेडिकल स्टाफ ने बताया कि मानदता की सेवा हमारा परम कर्तब्य है।यहां हम वहीं निभा रहे हैं। सिंघू बार्डर पर लगे मेडिकल कैंम्प का पैसा कहां से आता है तो,इस सवाल के जबाब में मेडिकल कैंम्प की सेवा में लगे स्टाफ ने बताया कि विभिन्न चैरिटेबल संस्थाये हमारी मदद करती हैं। उन्हीं संस्थाओं की मदद से हम सेवा कर रहे हैं। मेडिकल स्टाफ ने बताया कि हमारा कैंम्प हर किसी के लिये मुफ्त है। बिना किसी की जाति,धर्म देखे हम मानदता की सेवा करते हैं।

जवान और किसान का संगम

एक तरफ जहां पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अब उनके समर्थन में देश के जवान भी खड़े हो गये हैं। सूबेदार वीर सिंह पूरे जोश- खरोस के साथ किसानों के साथ खड़े दिखे। सूबेदार वीर सिंह ने बताया कि ये किसान हमारे ही माता-पिता और भाई –बंधु हैं। जब अपनों पर मुसीबत आयेगी तो बेटे को आना ही पड़ेगा। सेना के पूर्व सैनिक सेक्रेटरी एम एस रावत ने बताया कि किसान देश का अन्नदाता है। अगर देश के अन्नदाता के साथ कुछ बुरा होगा तो देश का बच्चा – बच्चा किसानों के साथ खड़ा हो जायेगा।

कुल मिलाकर देखा जाय तो दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर धरना -प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ ना सिर्फ देश का किसान खड़ा है, बल्कि किसानों के साथ देश का जवान भी खड़ा है। सचमुच किसान और जवान के इस संगम को देखकर किसी को भी हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जय जवान,जय किसान का नारा बरबस ही याद आ जायेगा। 

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