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Delhi Crime : बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील ने कहा, चीन, सिंगापुर और कोरिया में क्यों मारता कोई साहिल किसी साक्षी को

By अपनी पत्रिका

June 03, 2023

नई दिल्ली।  बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने साक्षी हत्याकांड पर व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि कोई साहिल किसी साक्षी की हत्या न कर सके। इसके लिए देश का कानून बदलना होगा। पर्सनल लॉ को बदल कर समान नागरिकता का कानून लागू करना होगा।

उन्होंने कहा कि क्या चीन में कोई साहिल किसी साक्षी की हत्या कर सकता है। क्या सिंगापुर या कोरिया में कोई साहिल किसी साक्षी की हत्या कर सकता है। नहीं न। भारत में ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा कानून कमजोर है। शिक्षा व्यवस्था घटिया है। उन्होंने कहा कि पहले तो ये लोग पत्थर ही मारते थे अब तो चाकू से 35 वार कर जब पेट नहीं भरा तो पत्थर से कुचल दिया। उन्होंने कहा कि ट्विटर, फेसबुक, कैंडल मार्च, आरोप प्रत्यारोप या  फिर फांसी की मांग करने से कुछ नहीं होगा। बहु संख्यक और अल्प संख्यक का खेल ख़त्म करना होगा।

उन्होंने कहा यह जो हम कर रहे हैं यह तो 75 साल से हो रहा है। मदरसे बंद करने होंगे। समान शिक्षा प्रणाली लागू करनी होगी। पर्सनल लॉ खत्म कर नागरिक संहिता लागू करनी होगी। कठोर कानून बनाना होगा। तब तक कोई साहिल किसी साक्षी को ऐसे ही मारता रहेगा। उन्होंने कहा कि लोग फांसी-फांसी चिल्लाते हैं। किस हत्यारे को हुई फांसी ? क्या लवेश तिवारी के हत्यारे को फांसी हुई ? किरण तनेजा के हत्यारे को फांसी हुई। पूछताछ चलती रहेगी। बयान होता रहेगा, जिरह होती रहेगी। उन्होंने कहा कि फांसी के लिए कठोर कानून बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि यदि कानून ठीक होता तो कम से कम अब तक 2000 लोगों को फांसी लग चुकी होती। उन्होंने कहा कि कोई दिन नहीं जाता कि कोई साहिल लव जिहाद में किसी साक्षी को न फंसाता हो, न मानने पर इसी तरह न मारता हो।

उन्होंने कहा यह सब अफगानिस्तान में खत्म हो गया है। पाकिस्तान में खत्म हो गया है पर हमारे यहां चल रहा है। अश्विनी कुमार ने कहा कि टीवी चैनलों पर इस मुद्दे पर डिबेट तो बहुत चलती हैं पर लव जिहाद का कोई समाधान नहीं बताया जाता। उन्होंने कहा पुलिस रिफॉर्म और जुडिशरी रिफॉर्म से लव जिहाद खत्म होगा। उन्होंने कहा कि यह विशेष कानून, विशेष दर्जा और विशेष योजना सब बंद होनी चाहिए। देश में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली लागू करनी पड़ेगी। क्या खाना, क्या पीना, क्या देखना, क्या सुनना या सब बच्चे के लिए बचपन में ही तय करना पड़ेगा। तब जाकर समाज में प्रेम बढ़ेगा। उन्होंने घुसपैठियों और जिहादियों के लिए फांसी का कानून बनाने की पैरवी की है।