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अपराधी अब छूटते!

By अपनी पत्रिका

July 26, 2023

झूठों के दरबार में, सच बैठा है मौन ! घेरे घोर उदासियाँ, सुनता उसकी कौन !!

कुछ सिक्कों के तोल में, बिकने लगी जुबान ! वकील,गवाह,जज बिके, कचहरी ज्यों दुकान!!

ज़ीरों ले बाबू हुए, काटे मेरिट घास ! डिग्री पैसों में बिके, ज्ञान हुआ बकवास !!

आँखें-गुर्दे सब बिके, लगे भाव भरपूर ! परचूनी दूकान हुआ, बेचारा मजदूर !!

कैसी ये सरकार है, कैसा है कानून ! करता नित ही झूठ है, सच्चाई का खून !!

बदले सुर में गा रहे, अब शादी के ढोल ! दूल्हा कितने में बिका, पूछ रहे हैं मोल !!

अपराधी अब छूटते, तोड़े सभी विधान ! निर्दोषी हैं जेल में, शर्मिन्दा संविधान !!

डॉ. सत्यवान सौरभ