Thursday, October 31, 2024
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कोलगेट: कोड़ा ने उठाई मनमोहन को तलब करने की मांग

नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने एक विशेष अदालत में एक आवेदन दायर करते हुए यह मांग की है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दो अन्य को कोयला घोटाला मामले में आरोपियों के रूप में तलब किया जाए। यह वही मामला है, जिसमें सीबीआई ने उद्योगपति नवीन जिंदल और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए थे। इस मामले में कोड़ा भी एक आरोपी हैं। कोड़ा ने उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे मनमोहन सिंह, तत्कालीन ऊर्जा सचिव आनंद स्वरूप और तत्कालीन खदान एवं भूविज्ञान सचिव जयशंकर तिवारी को तलब करने की मांग की। कोड़ा के आवेदन की प्रति सीबीआई को दे दी गई और अदालत ने एजेंसी से कहा है कि यदि इस याचिका पर उसका कोई जवाब है तो वह उसे दायर करे। हालांकि कोड़ा के वकील ने अदालत से कहा कि इस आवेदन पर दलीलें इस मामले में आरोप तय करने पर होने वाली बहस के साथ सुनी जाएं।

अदालत ने सीबीआई द्वारा आरोपी को आरोपपत्र के साथ उपलब्ध करवाए दस्तावेजों की जांच के लिए 28 अगस्त की तारीख तय कर दी। यह मामला झारखंड का अमरकोंडा मुर्गडंगल कोयला ब्लॉक जिंदल समूह की दो कंपनियों जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) और गगन स्पोंज आयरन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसआईपीएल) को आवंटित किए जाने से जुड़ी कथित अनियमितताओं का है। इस मामले में जिंदल के अलावा कोड़ा, राज्य के पूर्व कोयला मंत्री दसारी नरायण राव, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और 11 अन्य आरोपी हैं। इन आरोपियों में पांच कंपनियां भी शामिल हैं। इस मामले के अन्य आरोपी व्यक्ति जिंदल रिएल्टी प्रा लि के निदेशक राजीव जैन, जीएसआईपीएल के निदेशक गिरीश कुमार सुनेजा और राधा कृष्णा सराफ, न्यू डेली एग्जिम प्रा. लि. के निदेशक सुरेश सिंघल, सौभाग्य मीडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के. रामकृष्णा प्रसाद और चार्टेड अकाउंटेंट ज्ञान स्वरूप गर्ग हैं। दस आरोपी व्यक्तियों के अलावा पांच कंपनियां- जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, जिंदल रिएल्टी प्रा. लि., गगन इंफ्राएनर्जी लिमिटेड (पूर्व में जीएसआईपीएल), सौभाग्य मीडिया लिमिटेड और न्यू डेली एग्जिम प्रा. लि. इस मामले में आरोपी हैं। अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्ट्या सभी 15 आरोपियों के खिलाफ लगे अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र), 409 (जनसेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1) (सी) एवं 13 (1) (डी) के तहत प्रतीत होते हैं।

 

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