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Bihar : जाति आधारित गणना के बाद बिहार में लौट सकता है नरसंहारों का दौर!

By अपनी पत्रिका

October 05, 2023

चरण सिंह राजपूत 

जाति आधारित गणना के बाद बिहार में जातीय हिंसा होने की आशंका पैदा हो गई है। जिस तरह से सवर्ण और पिछड़ा वर्ग के लोगों में बहस देखने को मिल रही है। उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार में फिर से नरसंहारों का दौर लौट सकता है। क्योंकि पिछड़े अब राजनीति ही नहीं बल्कि जमीन में भी अपना हिस्सा मांगने के लिए तैयार हो रहे हैं।

दरअसल बीजेपी को पटखनी देने के लिए लालू प्रसाद ने चाल चल दी है। लालू की यह चाल बिहार के समीकरण तो बदल दे ही रही है। साथ ही लालू का पुराना राज भी वापस आने की आशंका पैदा हो गई है। जाति आधारित इस गणना के बाद बिहार में अगड़ों और पिछड़ो में एक दूसरे के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है। यह सब सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है। चंदन शर्मा नामक एक व्यक्ति ने ट्वीट किया है कि जिसके गांव में दम है, वह हमारा ज़मीन लेकर दिखा दे, इन्हीं वजहों से 1990 में रणवीर सेना का गठन किया गया था। चंदन ने लिखा है कि निवेदन करता हूं दोबारा यह माहौल मत बनने दीजिए अन्यथा सबको मालूम है कितना भयानक परिणाम हुआ था 10 के बदले 50 गए थे।

चंदन ने इस गणना पर ऊँगली उठाते हुए कहा है कि बाकि जातिगत जनगणना में सुधार करो क्योंकि हमें शक है कि यह जातिगत जनगणना या तो ढंग से पूरा नहीं किया गया है या फिर राजनीतिक विद्वेष फैलाने के लिए जानबूझकर गलत डाटा डाला गया हैं, जिसका परिणाम हम सभी को दिख रहा है कि लोग एक दुसरे से नफरत कर रहे हैं! हालांकि यह हमें भी मालूम है कोई घंटा नहीं उखाड़ पाओगे क्योंकि फिल्म का डायलॉग है जिसके बाजू में दम वही बाजीराव सिंघम। उन्होंने बिहार राज को जंगलराज की संज्ञा दी है। जंगल में हमेशा शेर का जनसंख्या कम होता है लेकिन हमेशा गीदड़ों और भेड़ियों के झुंड पर भारी पड़ता है! उधर डॉ. संदीप यादव नाम के व्यक्ति ने इस ट्वीट के जवाब में लिखा है कि जाति जनगणना के आंकड़ों के अनुसार भूमिहारों के पास  39% के करीब जमीन है। 2.87% आबादी है भूमिहारों की। उन्होंने ब्राह्मणों के बारे में लिखा है कि उनके पास 16% जमीन और इनकी आबादी 3.45% है। राजपूतों के बारे में उन्होंने लिखा है कि राजपूतों के पास लगभग 19% जमीन है और इनकी आबादी 3.45 है। संदीप यादव ने लिखा है कि यानी की 74 जमीन 10% आबादी ने अपने कब्जे में ले रखी है। अब समय आ गया है कि बिहार में असली लैंड रेफ़्रोम करके इस जमीन का राष्ट्रीयकरण किया  जाये। और उसके बाद सभी को उनका हिस्सा आबादी के अनुपात में आवंटित किया जाये। मतलब बिहार में अब पिछड़े राजनीति में ही नहीं बल्कि जमीन में भी हिस्सा मांगने के लिए  तैयार हो रहे हैं।