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किसान महापंचायत का बड़ा फैसला, 12 जून से पहले गुरनाम सिंह चढूनी को रिहा करें, वरना…

By अपनी पत्रिका

June 08, 2023

haryana kisan mahapanchayat: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में किसानों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता और दमन की घटनाएं बढ़ रही हैं. एसकेएम ने एक बयान जारी कर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मोहनसराय में जिला प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की भी निंदा की.

हरि‍याणा के कुरुक्षेत्र में हुई किसानों की महापंचायत में बड़ा फैसला लेते हुए कहा गया है क‍ि अगर 12 जून से पहले गुरनाम सिंह चढूनी सहित सभी किसान नेताओं को छोड़ दें, वरना 12 जून को पिपली में किसान एक विशाल रैली करके सरकार की जड़े हिलाने का काम करेंगे. उन्‍होंने कहा क‍ि एमएसपी हर हाल में लागू करवा कर रहेंगे.

महापंचायत के बाद बताया गया क‍ि 12 जून को पिपली अनाज मंडी में MSP दिलाओ किसान बचाओ विशाल रैली होगी. सभी जगह के धरने खत्‍म कर द‍िए जाएंगे और सांकेतिक धरना शाहबाद मारकंडा में अनाज मंडी के सामने शाहाबाद लाडवा रोड पर निरंतर जारी रहेगा.

गुरनाम सिंह चढूनी एक बार फिर चर्चा में हैं. सूरजमुखी एमएसपी पर खरीद करने की मांग को लेकर 6 जून को कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में हुए आंदोलन का वो मुख्य चेहरा हैं. हालांकि इस बार हरियाणा पुलिस ने उन पर बड़ा कानूनी शिकंजा कस दिया है. संगीन धाराओं में केस दर्ज कर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया. अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. इस गिरफ्तारी के बाद शाहाबाद पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने गुरनाम सिंह को लड़ाका बताया. फिलहाल वो हरियाणा सरकार की आंख की किरकिरी बने हुए हैं, क्योंकि वह सीधे सीएम मनोहर लाल खट्टर को चुनौती देते हैं. आइए यह जानते हैं कि आखिर गुरनाम सिंह चढूनी हैं कौन?

चढूनी भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष हैं. हरियाणा में वो बड़े किसान नेता के रूप में जाने जाते हैं. दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से ज्यादा वक्त तक चले किसान आंदोलन में भी वह बड़ा चेहरा थे. कुरुक्षेत्र के रहने वाले गुरनाम सिंह का जन्म 1959 में हुआ था. वो अब 64 साल हो चुके हैं यानी सीनियर सिटीजन, फिर भी जब किसानों क़ी बात आती है तो उनका तेवर देखते बनता है.

राजनीति में है परिवार

चढूनी की पत्नी का नाम बलविंदर कौर हैं. जो राजनीति में काफी सक्रिय हैं. गुरनाम ने उन्हें कुरुक्षेत्र से आम आदमी पार्टी से 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ाया था. तब उनको 79 हजार वोट मिले थे. गुरनाम की पंजाब में भी अच्छी पहचान है. वो संयुक्त संघर्ष पार्टी के संस्थापक भी हैं. उन्होंने खुद निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. लेकिन चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं इससे पहले आम आदमी पार्टी ने साल 2019 में उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया था. हालांकि ये चुनाव भी वो हार गए थे.

किसानों के लिए क्या किया?

गुरनाम सिंह चढूनी की पहचान किसानों के लिए एक संघर्ष वाले ही नेता के तौर पर रही है. बर्ष 2008 में उन्होंने कृषि ऋण माफी के लिए एक अभियान का सफल नेतृत्व किया. सूरजमुखी क्क्त खेती करने वाले किसानों की मांग वो लगातार उठाते रहे हैं. क्योंकि जहां से वो आते हैं उस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सूरजमुखी की खेती की जाती है.इस बार भी उनका सरकार से पंगा सूरजमुखी की खरीद को लेकर ही हुआ है. वो सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना से बाहर निकाल कर पहले की तरह एमएसपी पर खरीद करने की मांग कर रहे हैं.

 

2018 में आवाज उठाई

भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों के हक में आवाज 2018 में बुलंद की थी. उस समय एमएसपी की गारंटी और कर्जा माफी मुद्दा थे. इसी बीच तीनों कृषि कानून लाए गए. भाकियू ने गांव-गांव जाकर किसानों से संपर्क किया और तीनों कृषि कानूनों के बारे में बताया. किसान एकजुट हुए और एक आंदोलन का रूप लेने गया. इसके बाद खंड और जिला स्तर पर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किए गए. इस आंदोलन में प्रदेश में बड़ी अगुवाई गुरनाम सिंह चढूनी ने की.