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मोदी ने विश्व में नयी ऊर्जा का संचार कियाः सुषमा

By अपनी पत्रिका

December 03, 2014

नई दिल्ली।  विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरे से विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक सुरक्षित एवं स्थायी वातावरण बनाने में मदद मिली है, साथ ही इससे हमें आर्थिक विकास, निवेश को बढ़ावा देने, रोजगार के नये अवसर सृजित करने और हमारे लोगों के जीवन में सुधार लाने के मिशन को हासिल करने में भी सहायता मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल के विदेश दौरों के संबंध में आज लोकसभा में दिये अपने बयान में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि आज जब विश्व अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की नयी सरकार ने विश्व में नयी ऊर्जा का संचार किया है और उनके नेतृत्व में तीव्र विकास, विश्व शांति, स्थिरता, स्थायित्व के लिए भारत के व्यापक, असरदार और सार्थक योगदान के प्रति नयी आशा उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा एक ऐसी विदेशी नीति पर बल दिया है जो आगे बढ़कर विश्व मामलों में सक्रियता दिखाने वाली हो, अभिनव प्रयोगों से युक्त हो और जो हमारी सरकार के आर्थिक विकास के प्राथमिक उद्देश्यों से संबद्ध हो।  भारत की विदेश नीति ने नए मुकाम हासिल किये हैं और नयी ऊंचाइयों को छुआ है। हमारे इन प्रयासों को विश्व में अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने विदेशों में बसे भारतीय समुदाय तक, उस स्तर तक पहुंच बनाने की ओर विशेष ध्यान दिया। विदेशों में स्थित भारतीय समुदाय द्वारा पीआईओ और ओसीआई कार्डों पर हमारे निर्णयों को व्यापक रूप से सराहा गया। आज भारतीय समुदाय अपने आप को भारत से जुड़ा महसूस करता है। सुषमा ने कहा कि संसद के पिछले सत्र के बाद प्रधानमंत्री ने जापान, अमेरिका, म्यांमार, आस्ट्रेलिया, फिजी और नेपाल की यात्रा की और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी हिस्सा लिया। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबट और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत की यात्रा की। पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री ने विश्व के 45 अंतरराष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात की, साथ ही भारत-आसियान, जी20 और दक्षेस शिखर वार्ताओं में हिस्सा लिया। विदेश मंत्री ने कहा, ”ये सभी शिखर वार्ताएं हमारे क्षेत्र, एशिया और विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ”हमारे विदेश संबंध मात्र गौरव के प्रतीक ही नहीं है बल्कि यह परिणामों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। हम जापान के साथ अपने संबंधों को विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर तक ले गए। चीन के साथ बकाया मुद्दों पर ध्यान देते हुए हमने संबंधों को और प्रगाढ़ किया। अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को गति प्रदान की। आस्ट्रेलिया के साथ अपने संबंधों को नयी दिशा देते हुए हिचकिचाहट भरी ‘लुक ईस्ट’ नीति को हमने ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में तब्दील किया।’’ सुषमा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री का हिन्दी में संबोधन गर्व का विषय है। ब्रिस्बेन में जी-20 बैठक में राष्ट्र की शिखर वार्ता के दौरान भारत के आर्थिक सुधारों को लेकर अत्यधिक उत्साह देखने को मिला। विदेश मंत्री ने कहा कि काठमांडो में दक्षेस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने दक्षिण एशिया में साझा सम्पन्नता का दृष्टिकोण रखा और इस क्षेत्र में परस्पर सहयोग और दक्षिण एशिया के देशों के बीच आपसी सामंजस्य विकसित करने का भारत का मजबूत इरादा व्यक्त किया। सुषमा ने कहा, ‘‘प्रत्येक अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक स्थायी और शांतिपूर्ण एशिया तथा इसके आसपास के समुद्रीय क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानूनों की स्वीकार्यता एवं विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष सुरक्षा के खतरों पर भी ध्यान दिलाया।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पश्चिम एशिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के उभार और विश्व पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों पर चिंताओं को साझा किया और आतंकवाद के वैश्विक खतरे से निपटने, ऐसे संगठनों को अलग थलग करने के लिए व्यापक नीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर क्षेत्र के राष्ट्र हमारी सुरक्षा चुनौतियों में साझेदार हैं। प्रधानमंत्री ने प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों के नेताओं के साथ बैठक की। यह भविष्य में इन देशों के साथ हमारे सतत सहयोग की शुरूआत है। सुषमा ने कहा कि आस्ट्रेलिया में संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने वाले नरेन्द्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, साथ ही फिजी में नये संविधान के तहत लोकतंत्र की बहाली के बाद चुनी गई संसद को संबोधित करने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय नेता बने। उन्हें मेजबान देश और विश्व में खूब सराहा गया। सुषमा ने कहा, ‘‘हमारी सरकार अगले दौर के सुधारों के जरिये आधारभूत ढांचे और निर्माण क्षेत्र को विकसित करने की तैयारी में है। ऐसे समय में जापान से अगले पांच वर्षों के दौरान 3.5 अरब येन (करीब 35 अरब डालर) की वित्तीय सहायता की वचनबद्धता मिली जबकि चीन के साथ दो औद्योगिकी गलियारा स्थापित करने और 20 अरब डालर के निवेश से जुड़े समझौते किये गए। अगले पांच वर्षों में अमेरिकी कंपनियों द्वारा 42 अरब डालर के अनुमानित निवेश की आशा है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि आस्ट्रेलिया के साथ उर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए समझौता किया गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में ऊर्जा की बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए नवीकणीय ऊर्जा के लिए अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ साझेदारी ने एक नये युग में प्रवेश किया है जिसका हमें लम्बे समय से इंतजार था। नेपाल के साथ पंचेश्वर परियोजना के संबंध में पंचेश्वर विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। इसके साथ एक नया ऊर्जा व्यापार समझौता किया गया। भारत और नेपाल के लोगों की यात्रा और पर्यटन को सुगम बनाने के लिए भी एक समझौता किया गया। सुषमा ने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत से विश्व व्यापार संगठन में खाद्य सुरक्षा के हमारे हितों की रक्षा और दोहा विकास चक्र की बातचीत को आगे बढ़ाने में मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ध्यान केवल निर्माण और आधारभूत ढांचे पर ही केंद्रित नहीं है। विदेशों में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रहित के बिन्दुओं पर जोर दिया जिसमें कौशल विकास में सहयोग, बीमारियों से मुकाबला करने के लिए उन्नत चिकित्सीय अनुसंधान में सहयोग, खाद्य सुरक्षा जैसे विषय शामिल हैं।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि किसानों के लाभ के लिए आस्ट्रेलिया से कृषि अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका के साथ सहयोग को आगे बढ़ाया गया। इस दौरान क्योतो एवं वाराणसी, मुम्बई-शंघाई तथा गुआंगझू-अहमदाबाद के बीच सहयोग संबंधी समझौते भी हुए। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री ने विश्व में भारत की भूमिका और स्थान को लेकर एक स्पष्ट दृष्टि रखी जिसमें विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नाते विश्व नेतृत्व को ग्रहण करने की हमारी स्वीकार्यता भी शामिल है। हमने वादों को कार्यवाही में, अवसरों को परिणामों में बदला है। हमने उन संबंधों को पुनर्जीवित किया है जो लम्बे समय से उपेक्षित थे। हमने अपने सुरक्षा हितों को खुलकर व्यक्त किया और जोरदार ढंग से उनकी रक्षा की।’’ सुषमा ने कहा, ‘‘पूंजी, प्रौद्योगिकी, संसाधन, ऊर्जा, बाजार और दक्षता के लिए भारत को आज एक सुरक्षित परिवेश, शांतिपूर्ण पड़ोस, स्थायित्वपूर्ण विश्व और एक खुली एवं मजबूत विश्व व्यापार व्यवस्था की आश्वयकता है।