गांधीनगर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि सरकार न सिर्फ विश्वभर में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के निवेश को देख रही है, बल्कि भारतवंशियों से गहरे संबंध भी बनाना चाहती है। यहां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा, ‘‘कृपया यह न सोचें कि हम सिर्फ आपके निवेश को देख रहे हैं.. यह ‘धन का रिश्ता’ नहीं है जो हम देख रहे हैं, ‘बल्कि मन का रिश्ता’ है।’’ उन्होंने कहा कि हमें भारतवंशियों के योगदान पर गर्व है और हम भारत की कहानी में इस समूह के योगदान को नहीं भूल सकते। गृहमंत्री ने यह भी माना कि देश में यदि कुछ बुरा होता है तो भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों को भी दुःख होता है बेशक वे विश्व के किसी अलग हिस्से में रहते हों। भारतवंशियों को ‘स्वदेशी’ करार देते हुए, चाहे वे किसी भी देश में रहते हों, राजनाथ ने कहा कि भारत द्वारा शुरू की गई बदलाव की इस यात्रा में देश को विभिन्न तरीकों से उनसे योगदान की आवश्यकता है। प्रवासियों के महत्वपूर्ण सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा, ‘‘हम एक स्व-प्रतिष्ठित, स्व निर्भर और मजबूत भारत बनाना चाहते हैं तथा आपके योगदान के बिना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते।’’
राजनाथ ने कहा कि महात्मा गांधी के दृष्टिकोण की तरह ही मोदी सरकार देश के एकीकृत विकास के लिए काम कर रही है जिसमें गांवों पर समान ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने भारतवंशियों से ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरियां पैदा करने में मदद करने की अपील की। सरकार की महत्वपूर्ण ‘मेक इन इंडिया’ पहल की तरफ ध्यान आकृष्ट करते हुए राजनाथ ने कहा कि भारत को विनिर्माण पॉवरहाउस में तब्दील करने का काम प्रवासियों और भारतवंशियों की सहायता के बिना नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा था कि भारतवंशी देश के लिए एक ‘‘बड़ी पूंजी’’ हैं जिसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत को बदलने के लिए भारतवंशियों से सहयोग की अपील करते हुए उन्होंने कहा था कि देश में अवसर उनका इंतजार कर रहे हैं। मोदी ने प्रवासियों से कहा था कि पहले किस तरह प्रतिकूलता, साहस और आजीविका के लिए नए स्थानों की तलाश की ललक के चलते उनके पूर्वजों को देश छोड़ना पड़ा था, लेकिन अब ‘‘भारत नयी शक्ति के साथ उभरा’’ है जहां ‘‘बड़े अवसर’’ उनका इंतजार कर रहे हैं। राजनाथ ने कहा कि वर्तमान में विनिर्माण की हिस्सेदारी सकल घरेलू उत्पाद का 14 प्रतिशत है और सरकार का आगामी वर्षों में इसे 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारत को न सिर्फ आर्थिक शक्ति, बल्कि सर्वोच्च आर्थिक शक्ति बनाने का संकल्प करना चाहिए।’’ राजनाथ ने कहा कि इसके लिए घरेलू और विदेशी दोनों निवेशों की आवश्यकता होगी। गृहमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इस यात्रा में सामूहिक ज्ञान और सहयोग के सिद्धांत के साथ काम कर स्वस्थ लोकतंत्र बनाने के प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि योजना आयोग की जगह नवघोषित नीति आयोग इसी दिशा में एक प्रयास है, जहां राज्य सामूहिक लक्ष्यों को हासिल करने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। राजनाथ ने कहा, ‘‘हमारा संघीय ढांचा अन्य देशों से थोड़ा अलग है। हमारा संघवाद प्रतिस्पर्धी नहीं है।’’ भारत को ‘‘जीवंत सत्व’’ के रूप में और न कि ‘जीवनरहित विचार’ के रूप में करार देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि यदि कोई समुदाय या तबका प्रक्रिया में छूट जाता है तो हम राष्ट्र के रूप में मजबूत नहीं बन सकते।